भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बाह्य वाणिज्यिक उधारी ( ईसीबी) के माध्यम से धन जुटाने के लिए उधार सीमा को कर्ज लेने वालों की वित्तीय क्षमता से जोड़ने का प्रस्ताव किया है। साथ ही ईसीबी बाजार-निर्धारित ब्याज दरों पर जुटाई जा सकती है।
ईसीबी जुटाने के नियमों के मसौदे में अंतिम उपयोग पाबंदियों और न्यूनतम औसत परिपक्वता आवश्यकताओं को सरल बनाने का प्रस्ताव किया गया है। अधिक ऋण प्रवाह को सुगम बनाने के लिए पात्र ऋणदाता और कर्जदार का आधार भी बढ़ाएगा जाएगा। नियमों का अनुपालन आसान बनाने के लिए रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को सुव्यवस्थित किया जाएगा।
मसौदा मानदंड में कहा गया है कि पात्र इकाई 1 अरब डॉलर तक के बकाया ईसीबी या अंतिम लेखापरीक्षित बैलेंस शीट के अनुसार नेटवर्थ के 300 फीसदी तक कुल बकाया उधार (बाह्य और घरेलू) में से जो भी अधिक हो, उतनी ईसीबी जुटा सकती है।
आरबीआई ने मसौदा मानदंडों में कहा, ‘उधारी की सीमा कर्ज लेने वाले की वित्तीय क्षमता से जोड़ने का प्रस्ताव है और बाजार निर्धारित ब्याज दरों पर ईसीबी जुटाने की सहूलियत देने का प्रस्ताव है।’
मसौदा मानदंडों में कुल लागत सीमा को हटा दिया गया है और कहा गया है कि उधार की लागत मौजूदा बाजार स्थितियों के अनुरूप होगी। इसके अलावा अंतिम उपयोग प्रतिबंध और न्यूनतम परिपक्वता आवश्यकताएं जो लंबे समय से कंपनियों के लिए एक समस्या रही हैं, को सरल बनाने का प्रस्ताव है।
वर्तमान में ईसीबी उधारी दर बेंचमार्क से 450 आधार अंक अधिक है। विदेशी मुद्रा उधार के लिए यह सीमा छह महीने के लाइबोर से जुड़ी है और रुपये मद में यह सरकारी प्रतिभूतियों की यील्ड से जुड़ी है।
रॉकफोर्ट फिनकैप के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘बाजार-निर्धारित दरों में बदलाव से अच्छी रेटिंग वाली कंपनियों के लिए उधार लेने की लागत कम हो सकती है जबकि पात्र लेनदार और ऋणदाताओं का दायरा बढ़ने से प्रतिभागियों के लिए व्यापक अवसर उपलब्ध होंगे।’
मसौदा विनियम पर 24 अक्टूबर तक सार्वजनिक प्रतिक्रिया मांगी गई है। वर्तमान ईसीबी ढांचे के तहत कोई भी लेनदार स्वचालित मार्ग के तहत हर वित्त वर्ष 75 करोड़ डॉलर तक की राशि जुटा सकता है। इससे अधिक राशि के लिए आरबीआई की पूर्व मंजूरी आवश्यक है। उधार की लागत को बेंचमार्क दरों से 450 आधार अंक अधिक पर तय किया गया है। न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि आम तौर पर 3 साल होती है और विशिष्ट अंतिम उपयोग के लिए लंबी अवधि के कर्ज की आवश्यकता होती है।
वित्त उद्योग विकास परिषद (एफआईडीसी) के सीईओ रमन अग्रवाल ने कहा, ‘एनबीएफसी ईसीबी के जरिये धन जुटा रही हैं। आरबीआई का निर्णय सही दिशा में उठाया गया कदम है। हालांकि अभी यह मसौदा दिशानिर्देश है। इसलिए आरबीआई को अपनी प्रतिक्रिया देते समय हम इनका अध्ययन करेंगे।’ आरबीआई ने शुक्रवार को एफआईडीसी को एनबीएफसी के लिए स्व-नियामक संगठन के रूप में मान्यता दी। विशेषज्ञों के अनुसार प्रस्तावित मानदंडों से सुदृढ़ भारतीय कंपनियों, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे और पूंजी-गहन क्षेत्र की फर्मों को बेहतर लागत पर बड़ा कर्ज जुटाने में मदद मिलेगी। वित्त वर्ष 2025 में भारतीय कंपनियों ने ईसीबी के माध्यम से रिकॉर्ड 61 अरब डॉलर जुटाए हैं।