भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते की प्रक्रिया चल रही है। इस बीच भारत के सोयाबीन (Soyabean) और खाद्य तेल उद्योग ने सोयाबीन उत्पादों पर मौजूदा आयात शुल्क बनाए रखने की मांग की है। यह मांग ऐसे में समय में की गई, जब भारत द्वारा अमेरिका के लिए आयात शुल्क में कटौती करने की चर्चा हो रही है। सोयाबीन उद्योग के प्रमुख संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister for Commerce & Industry Piyush Goel) को पत्र लिखकर सरकार से भारत के सोयाबीन और खाद्य तेल क्षेत्रों की चिंताओं और हितों का समाधान सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। सोपा ने भारत और अमेरिका के बीच होने वाले द्विपक्षीय समझौते के दौरान भारतीय सोयाबीन व खाद्य तेल उद्योग के हितों का ध्यान रखने के लिए सरकार से कुछ सिफारिशें की हैं।
सोपा ने कहा कि हम भारत सरकार से सोयाबीन, सोयाबीन तेल (Soyabean oil) और सोयाबीन खली पर मौजूदा आयात शुल्क बनाए रखने का आग्रह करते हैं। इन शुल्कों को कम करने से भारत में कम लागत वाले आयातों की बाढ़ आ सकती है, जिससे भारत का घरेलू सोयाबीन उत्पादन कमजोर हो जाएगा। इस तरह के कदम से लगभग एक करोड सोयाबीन किसानों और संबंधित उद्योगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। जिससे भारत के कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियां और बढ़ जाएंगी।
खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता विशेष रूप से सोयाबीन, जहां हमारी उत्पादकता अमेरिका से बहुत कम है, को रियायती शुल्क पर आयात करने की अनुमति देना (जो वर्तमान में डब्ल्यूटीओ बाध्य दरों का लगभग आधा है) खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के हमारे लक्ष्य के लिए एक महत्वपूर्ण झटका होगा। यह एक ऐसा क्षेत्र जहां हम पहले से ही 60 फीसदी से अधिक आयात पर निर्भर हैं। रियायती शुल्क पर खाद्य तेल आयात राष्ट्रीय खाद्य तेल (तिलहन) मिशन के अंतिम उद्देश्य को भी विफल कर देगा।
सोपा ने केंद्रीय मंत्री गोयल को लिखे पत्र में कहा कि दोनों देश सोया प्रोटीन आइसोलेट्स और कंसन्ट्रेट जैसे मूल्य-वर्धित सोया उत्पादों के लिए रियायती शुल्क व्यवस्था की संभावना तलाशें। ये उत्पाद सीधे कच्चे सोयाबीन बाजारों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करेंगे और भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नवाचार और विस्तार को बढ़ावा दे सकते हैं। जिससे दोनों देशों को लाभ होगा। मूल्य-वर्धित उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करके हम अपने सोयाबीन उत्पादन से प्राप्त आर्थिक मूल्य को बढ़ा सकते हैं और इस क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा दे सकते हैं। यह देश में व्यापक रूप से फैली प्रोटीन की कमी को भी दूर करेगा।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत से जैविक सोयाबीन खली के आयात पर 283.91 फीसदी का प्रतिपूरक शुल्क लगाया है, जो पहले की 12 से 15 फीसदी की दर से काफी अधिक है। इसने अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता को काफी हद तक बाधित किया है। ऐसे में अनुरोध हैं कि भारत सरकार इन शुल्कों को अधिक न्यायसंगत स्तरों तक कम करने के लिए बातचीत को प्राथमिकता दे। ताकि अमेरिकी बाजारों में भारतीय जैविक सोयाबीन खली के लिए उचित बाजार पहुंच सुनिश्चित हो सके।
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