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अब AI से बढ़ेगा गन्ना उत्पादन, ज्यादा मिलेगी चीनी

औसत पेराई दिनों में गिरावट, जो कि अब तक के सबसे कम रिकॉर्ड में से एक है, चीनी मिलों की वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करती है। 

Last Updated- May 21, 2025 | 8:13 PM IST
Sugar prices in India at lowest level in 1-1/2 years due to adequate supply भारत में चीनी की कीमतें पर्याप्त आपूर्ति के कारण 1-1/2 साल में अपने सबसे निचले स्तर
प्रतीकात्मक तस्वीर

महाराष्ट्र में इस साल पेराई सत्र की अवधि काफी कम रही, जिसके कारण चीनी उत्पादन में करीब 29 लाख टन की गिरावट हुई। मिलों को पिछले वर्ष की तुलना में 10,700 करोड़ रुपये का अनुमानित घाटा हुआ, जबकि कम चीनी रिकवरी दर ने 2,960 करोड़ रुपये का अतिरिक्त घाटा दिया। घाटे की मूल वजह चीनी मिलों के पेराई दिनों में आई कमी को दूर करने के लिए राज्य की चीनी मिलें अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित गन्ने की खेती करने पर जोर दे रहे हैं। एआई के उपयोग से गन्ने के उत्पादन को 40 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है।

इस साल पेराई सत्र में मिलें अधिकतम 90 दिनों तक ही चल पाईं, जो पिछले वर्षों में देखे गए 130-150 दिनों के औसत से काफी कम है। इस बार जनवरी में 11 मिलें, फरवरी में 95, मार्च में 89, अप्रैल में 4 और मई में एक मिल ने पेराई पूरी की। सत्र के अंत की आधिकारिक घोषणा 14 मई को कर दी गई। चीनी उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि औसत पेराई दिनों में गिरावट, जो कि अब तक के सबसे कम रिकॉर्ड में से एक है, चीनी मिलों की वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करती है। पेराई में गिरावट के कारण मिलों को पिछले वर्ष की तुलना में 10,700 करोड़ रुपये का अनुमानित घाटा हुआ, जबकि कम चीनी रिकवरी दर ने 2,960 करोड़ रुपये का अतिरिक्त घाटा दिया।

चीनी उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना में 29 लाख टन की भारी गिरावट

गन्ना पेराई सीजन 2024-25 के दौरान राज्य का चीनी उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना में 29 लाख टन की भारी गिरावट आई है। चीनी आयुक्तालय कार्यालय के अनुसार, 15 नवंबर को शुरू हुए सत्र में 200 चीनी मिलें चालू थीं। इन मिलों ने सामूहिक रूप से 81 लाख टन चीनी का उत्पादन किया, और यह उत्पादन 2023-24 सत्र में उत्पादित 110 लाख टन से लगभग 29 लाख टन कम है। पिछले सीजन में 208 मिलों ने पेराई में हिस्सा लिया था। 2024-25 में 200 मिलों द्वारा पेराई किया कुल गन्ना 850 लाख टन थी, जो पिछले सत्र में पेराई किये गए 1,070 लाख टन गन्ने से कम था। इसके अलावा, औसत चीनी रिकवरी दर भी 10.27 फीसदी से घटकर 9.5 फीसदी हो गई।

महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल संघ का पेराई दिनों को लेकर ऐलान

महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल संघ ने चीनी मिलों के पेराई दिनों को 150 दिनों से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके लिए संघ ने अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित गन्ने की खेती के लिए राज्य स्तरीय अभियान शुरू किया है। चीनी एसोसिएशन के अध्यक्ष पी.आर.पाटिल ने कहा कि, राज्य का पेराई सत्र औसतन मात्र 83 दिन का रह गया है। जबकि पेराई का समय कम से कम 150 दिन होना चाहिए। इस वर्ष पेराई के दिन कम होने से सभी मिलों को घाटा हुआ है। केवल एआई में ही इस दुष्चक्र को तोड़ने की शक्ति है। वर्तमान गन्ना खेती की तकनीक पुरानी हो जाने के कारण उत्पादकता में गिरावट आई है।

संघ ने पेराई अवधि को कम से कम 165 दिन तक बढ़ाने का संकल्प लिया है। राज्य सहकारी चीनी मिल संघ ने कारखानों से एआई तकनीक को शीघ्र अपनाने का आग्रह किया है। चीनी संघ के अनुसार, राज्य में वर्तमान में 13.73 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की जाती है। पेराई में गिरावट के कारण महाराष्ट्र उत्पादन में पिछड़ गया है और उत्तर प्रदेश आगे निकल गया है। यदि पहले चरण में राज्य में कम से कम छह लाख हेक्टेयर गन्ना क्षेत्र एआई के अंतर्गत आ जाता है, तो राज्य पुनः अग्रणी हो जाएगा। एआई प्रौद्योगिकी के उपयोग से गन्ने का उत्पादन 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है और बड़ी मात्रा में उर्वरक और पानी की बचत भी होती है।

चीनी का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग 

घाटे की मार झेल रहे चीनी मिल मालिक मांग कर रहे हैं कि चीनी का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 42 रुपये प्रति किलोग्राम किया जाना चाहिए । पिछले पांच सालों से एमएसपी में कोई बदलाव नहीं किया गया है जबकि एफआरपी कई बार बढ़ोत्तरी की जा चुकी है। चीनी मिले के आर्थिक हालात पर हाल ही पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में सभी सहकारी चीनी मिलों की स्थिति काफी खराब हो गई है। प्रदेश में पहले 80 प्रतिशत सहकारी और 20 प्रतिशत निजी मिलें थीं। लेकिन, अब 50 प्रतिशत कारखाने निजी हैं। मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि, वे एक आयोग गठित कर इस सहकारी चीनी मिलों का अध्ययन करें। हमें देखना चाहिए कि वास्तव में समस्याएं क्या हैं। जिस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि चीनी मिलें में केवल चीनी पर नहीं चल सकती । अब हमें चीनी से जुड़े अन्य व्यवसाय भी करना चाहिए।

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First Published - May 21, 2025 | 8:13 PM IST

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