मौसम विज्ञान विभाग ने 2025 के लिए मॉनसून का अपना अनुमान संशोधित करते हुए आज कहा कि देश में लंबी अवधि के औसत का 106 फीसदी बारिश होने का अनुमान है जबकि अप्रैल में 105 फीसदी बारिश का अनुमान लगाया गया था। इसके साथ ही मौसम विभाग ने कहा कि जून में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है, जो दीर्घकालिक औसत की 108 फीसदी होगी। जून से सितंबर तक की बारिश के अनुमान में 4 फीसदी की घट-बढ़ संभव है।
इतना ही नहीं मौसम विभाग ने कहा कि इस साल पूर्वोत्तर और बिहार के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के लगभग सभी क्षेत्रों में मॉनसूनी बारिश सामान्य से अधिक रहेगी। मौसम विभाग के क्षेत्रीय पूर्वानुमान के अनुसार इस साल केवल अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में ही ‘सामान्य से कम’ बारिश का अनुमान है।
देश के कुछ सर्वाधिक वर्षा वाले क्षेत्रों यानी कोर जोन में मॉनसूनी बारिश ‘सामान्य से अधिक’ रहने की उम्मीद है तथा अच्छी बारिश की संभावना 56 फीसदी है। देश के पश्चिमी और मध्यवर्ती इलाकों के मुख्य वर्षा आधारित क्षेत्रों में अच्छी बारिश से दलहन और तिलहन की पैदावार को फायदा मिल सकता है और दालों के महंगे आयात पर निर्भरता कम हो सकती है।
कुल मिलाकर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अच्छा रहने और वर्षा का वितरण बेहतर रहने के अनुमान से खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ सकता है और रबी फसल के लिए मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नमी भी रहेगी।
अग्रिम अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र का योगदान करीब 16.35 फीसदी रह सकता है। अच्छी फसल से सरकार को खाद्य मुद्रास्फीति नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और भारतीय रिजर्व बैंक को वित्त वर्ष 2026 में बेंचमार्क ब्याज दरों को कम करने के लिए अधिक गुंजाइश मिलेगी। इससे सरकार कृषि निर्यात में अधिक उदारता बरत सकती है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी वृद्धि 6.5 फीसदी रहने और खुदरा मुद्रास्फीति के 4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।
अप्रैल 2025 में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 1.78 फीसदी रही थी जो मार्च में 2.69 फीसदी थी। केवल तेल एवं वसा तथा फलों की मुद्रास्फीति ही अप्रैल में दो अंक में रही थी।
भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, ‘वर्तमान में भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में तटस्थ अल नीनो साउथ ऑसिलेशन स्थितियां हैं और नवीनतम मॉनसून मिशन जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली के साथ-साथ अन्य मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि मॉनसून के दौरान तटस्थ अल नीनो साउथ ऑसिलेशन स्थिति बनी रहने की संभावना है। मॉनसून को प्रभावित करने वाले हिंद महासागर डायपोल के भी नकारात्मक रहने की उम्मीद है।’
महापात्र ने कहा कि मौसम विभाग को पूरा भरोसा है कि देश के लगभग सभी हिस्सों के लिए उसका ‘सामान्य से अधिक’ मॉनसून का अनुमान सही साबित होगा क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में पूर्वानुमान मॉडल में बदलाव के कारण मौसम विभाग की सटीकता कई गुना बढ़ गई है।