पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में स्टील की मांग बढ़ने से भारत के लौह अयस्क उत्पादक फरवरी के दूसरे पखवाड़े के बाद से अपनी संचालन क्षमता बढ़ाकर तीन चौथाई करने की तैयारी में है।
इस उद्योग ने पहले ही पिछले डेढ़ महीनों के दौरान उत्पादन क्षमता 60 प्रतिशत तक कर दी थी। इंडियन फेरो एलॉय प्रोडयूसर्स एसोसिएशन (आईएफएपीए) के सेक्रेटरी जनरल टीएस सुंदरसन ने कहा कि अक्टूबर-नवंबर के दौरान उत्पादन क्षमता गिरकर 35 प्रतिशत रह गई थी, जो अब सुधर चुकी है। लेकिन अभी भी यह 70 प्रतिशत के सामान्य उत्पादन स्तर के पीछे है।
उन्होने कहा कि यह लक्ष्य भी दो तिमाहियों में हासिल कर लिया जाएगा। मांग कम होने की वजह से इस उद्योग के उत्पाद गोदामों में रिकॉर्ड स्तर पर जमा हो गए थे। यह अक्टूबर नवंबर के दौरान 5 लाख टन से ज्यादा था। स्थिति यह हुई कि कुल 150 भट्ठियों में से 20 प्रतिशत तो बंद हो गईं और 30 प्रतिशत से ज्यादा ने अपना उत्पादन नाटकीय रूप से कम कर दिया।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत ने 23.6 लाख टन लौह अयस्क का उत्पादन किया था। अनुमान के मुताबिक इस वर्ष उत्पादन गिरकर 19.0 लाख टन रह गया है। मांग में कमी की वजह से आर्सेलर मित्तल और पोस्को जैसे स्टील के वैश्विक उत्पादकों ने अपने उत्पादन में 45 प्रतिशत तक की कमी कर दी थी। इसके साथ ही स्टील बनाने के लिए प्रयोग में आने वाले कच्चे माल के निर्यात में भी 25 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है।
पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान स्थिति सामान्य रही, वहीं दूसरी छमाही खासकर नवंबर और उसके बाद से मांग करीब शून्य हो गई। भारत खासतौर पर अपने कुल निर्यात का 80-85 प्रतिशत लौह अयस्क कोरिया, जापान, यूरोप और अमेरिका भेजता है, यहां पर आर्थिक मंदी की वजह से मांग में बहुत कमी आ गई।
बहरहाल फरवरी के बाद से मांग में क्रमिक बढ़ोतरी शुरू हुई, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि स्टील और स्टेनलेस स्टील उद्योग की स्थिति में सुधार हो रहा है। इससे यह भी संकेत मिल रहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है।
एक प्रमुख द्वितीयक स्टील उत्पादक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्टील क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार हो रहा है और उम्मीद की जा रही है कि स्टील की मांग इस तिमाही के बाद से सुधर जाएगी, जिससे लौह अयस्क उद्योग को फायदा पहुंचेगा।
लौह अयस्क में फेरो क्रोम, फेरो सिलिकॉन, फेरो मैगनीज और सिलिको मैगनीज शामिल हैं। स्टील के विभिन्न ग्रेड के मुताबिक इसमें इनकी मात्रा तय होती है। लौह अयस्क के प्रसंस्करण के बिना स्टील के उत्पादन की परिकल्पना करना संभव नहीं है।
देश के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक और निर्यातक फेरो एलॉय कारपोरेशन लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आरके सर्राफ आने वाले दौर को कठिन मानते हैं। उनका कहना है कि अभी और बुरे दिन आने बाकी हैं क्योंकि चीन के उत्पादक भी क्र मिक रूप से उत्पादन में बढ़ोतरी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संभव है कि कुछ इकाइयां चीन से चीन से ऑर्डर लें क्योंकि वहां उत्पादन लागत कम होती है। हाल के दिनों में ऐसा देखा भी गया है। लेकिन कुल मिलाकर स्थिति गंभीर ही लगती है।
देश के बड़े स्टील उत्पादकों में सेल, टाटा स्टील, जिंदल स्टील, एस्सार स्टील आदि शामिल हैं, जहां से इस समय बेहतर मांग आ रही है। ऐसी स्थिति वित्त वर्ष 2008-09 की अंतिम तिमाही से बनी है। खासकर निर्माण क्षेत्र में मांग में हुई बढ़ोतरी के चलते ऐसा हुआ है।