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Budget से आम लोगों की क्या हैं उम्मीदें? जानें टैक्स में राहत, महंगाई से लेकर रोजगार तक क्या-क्या हो सकता है खास

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) फरवरी की पहली तारीख को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेंगी।

Last Updated- February 03, 2025 | 10:18 PM IST
What are the expectations of common people from the budget? Know what can be special from tax relief, inflation to employment Budget से आम लोगों की क्या हैं उम्मीदें? जानें टैक्स में राहत, महंगाई से लेकर रोजगार तक क्या-क्या हो सकता है खासBudget से आम लोगों की क्या हैं उम्मीदें? जानें टैक्स में राहत, महंगाई से लेकर रोजगार तक क्या-क्या हो सकता है खास

Budget 2025 Expectations: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) फरवरी की पहली तारीख को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेंगी। यह बजट कई आर्थिक चुनौतियों और संभावनाओं के बीच पेश किया जाएगा। नीति निर्माताओं के सामने एक जटिल स्थिति है, जहां उन्हें पब्लिक कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ावा देना, उपभोक्ता मांग में सुधार करना और राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) को नियंत्रित करने के तय लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ना है। हालांकि, यह आसान नहीं होगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था की विकास दर धीमी है, टैक्स रेवेन्यू की वृद्धि भी सुस्त पड़ रही है, और वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। बजट से किन-किन बातों की उम्मीद की जा सकती है। आइए विस्तार से समझते हैं…

1. रोजगार और कौशल विकास पर जोर

पिछले बजट में रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन (इम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव) और इंटर्नशिप कार्यक्रम जैसी पहलों के साथ, रोजगार सृजन और कौशल विकास पर जोर दिया गया था। पीरियॉडिक लेबर सर्वे के अनुसार, जून 2024 के तिमाही परिणाम पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में वृद्धि दर्शाते हैं, जो जून 2023 में 73.5 प्रतिशत और 23.2 प्रतिशत से बढ़कर क्रमशः 74.7 प्रतिशत और 25.2 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा, बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट आ रही है।

डेलॉयट की अर्थशास्त्री डॉ. रुमकी मजूमदार कहती हैं कि हम उम्मीद करते हैं कि सरकार सकारात्मक गति को बनाए रखते हुए कौशल विकास और रोजगार सृजन की दिशा में प्रयासों को प्राथमिकता देना और बढ़ाना जारी रखेगी। इससे भारत अपनी जनसंख्या का लाभ उठा सकेगा। सप्लाई और मांग दोनों पक्षों से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और ऊंची आय के माध्यम से खपत को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

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2. टैक्स सिस्टम को सरल बनाएं और डिविडेंड टैक्सेशन में सुधार

ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल को उम्मीद है कि सरकार टैक्स सिस्टम को सरल बनाने की कोशिश करेगी और डिविडेंड टैक्सेशन में सुधार करने का प्रयास कर सकती है।

GST स्लैब्स को सरल बनाएं: टैक्स रसीदों में लगभग 60% हिस्सेदारी रखने वाले अप्रत्यक्ष करों (Indirect Taxes) को कम करने और जीएसटी स्लैब्स को सरल बनाने से लोगों की डिस्पोजेबल इनकम बढ़ेगी।

डिविडेंड इनकम पर डबल टैक्सेशन की समस्या को हल करें: कंपनियों के लिए डिविडेंड इनकम को टैक्स-डिडक्टिबल (कर कटौती योग्य) बनाएं या पहले की व्यवस्था में लौटें। इन कदमों से निवेशकों को राहत मिलेगी और टैक्स अनुपालन में सुधार होगा।

3. महंगाई पर लगाम कसना

महंगाई लंबे समय से अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिसके चलते आगामी बजट में भी इस पर खासा ध्यान देना होगा। आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में सिफारिश की गई है कि भारत के महंगाई के लक्ष्य से संबंधित ढांचे में खाद्य कीमतों को शामिल न किया जाए, क्योंकि खाद्य मुद्रास्फीति (food inflation) मुख्य रूप से मांग आधारित होने के बजाय सप्लाई पर आधारित होती है। उसमें सुझाव दिया गया कि सरकार को मांग-पक्ष के साधनों के साथ इसका प्रबंधन करने के लिए RBI पर निर्भर रहने के बजाय सप्लाई-पक्ष से जुड़े उपायों के माध्यम से फूड इन्फ्लेशन का हल निकालना चाहिए।

मजूमदार कहती हैं कि हम कृषि वैल्यू चेन को मजबूत बनाने, उत्पादन को प्रोत्साहित करने और सप्लाई-पक्ष के ढांचागत मुद्दों का समाधान निकालने के उद्देश्य से दीर्घकालिक समाधानों पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद करते हैं। असल में इन मुद्दों के चलते वितरण लागत में बढ़ोतरी होती है। शॉर्ट टर्म में, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार ग्रामीण उपभोग को समर्थन देने के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) और फूड कूपन की दिशा में आगे बढ़ेगी, क्योंकि ग्रामीण महंगाई ज्यादा है और यह ग्रामीण मांग को प्रभावित करती है।

4. भारतीय निर्यात को बढ़ावा

अमेरिकी चुनावों के बाद, अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए आयात शुल्क (import duty) में बढ़ोतरी और टैक्स में कटौती जैसे संभावित उपायों के चलते ग्लोबल ट्रेड में उतार-चढ़ाव का जोखिम बढ़ गया है। इन सभी से ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित होंगी, जिससे भारतीय निर्यात पर असर होगा। भारत द्वारा आर्थिक विकास के महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करने के साथ, देश को विशेष रूप से 2030 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात लक्ष्य तक पहुंचने के लिए वैश्विक बाजारों में अपनी स्थिति को मजबूत करना होगा।

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार वैश्विक मंच पर भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कई उपायों को लागू करेगी। इनमें टैरिफ को दुरुस्त करना, शुल्क में छूट और छूट से जुड़ी योजनाएं शामिल हो सकती हैं, जिनसे भारतीय निर्यात की लागत को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, सरकार बाधाओं को कम करने और निर्यातकों की दक्षता बढ़ाने के लिए निर्यात अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।

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5. इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा निवेश

हाल के वर्षों में, सरकार ने वित्त वर्ष 2019 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 1.63 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2025 में 3.4 प्रतिशत तक पूंजीगत व्यय बढ़ाने के साथ, बुनियादी ढांचे के विकास पर खासा जोर दिया है। भारत की तरफ से 2047 तक विकसित भारत के विजन को हासिल करने दिशा में हो रही कोशिशों के साथ, डेलॉयट को हैं कि सरकार  इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता बनाए रखते हुए, इसे व्यापक आर्थिक विकास के प्रमुख चालक के रूप में मान्यता देगी।

सरकार द्वारा सड़क नेटवर्क का विस्तार करने, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क विकसित करने और कुशल आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देने के लिए पूरे लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किए जाने की उम्मीद है। साथ ही, सरकार कौशल पर विशेष जोर के साथ स्वास्थ्य और शिक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। नए डिजिटल नवाचार और पारदर्शिता बढ़ाने वाले कदमों को भी प्राथमिकता दी जाएगी।

सरकार द्वारा हाल के वर्षों में डिजिटल क्षेत्र में मिली सफलता को देखते हुए नए डिजिटल प्रोजेक्ट्स भी शुरू किए जा सकते हैं। बजट 2025 से साफ है कि सरकार न केवल आर्थिक विकास, बल्कि सामाजिक विकास पर भी बराबर ध्यान देने वाली है।

First Published - January 30, 2025 | 7:57 AM IST

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