केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शीर्ष अधिकारियों की अपनी टीम के साथ संवाददाता सम्मेलन में वित्त वर्ष 2025-26 के बजट की बारीकियों पर प्रकाश डाला। इस दौरान उन्होंने कर सरलीकरण के मार्ग, पूंजीगत व्यय पर जोर जैसे कई मसलों पर बात की।
नया कर विधेयक कब पारित होगा?
वित्त मंत्री: कोई भी विधेयक पहले स्थायी समिति के पास जाता है, इसके बाद समिति सभी हितधारकों से परामर्श करती है और फिर विधेयक हमारे पास वापस आता है। इसके बाद अगर जरूरी होगा तो कुछ और बदलाव किए जा सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि यह मौजूदा सत्र में ही पारित हो जाएगा।
कर छूट से कितना फायदा?
वित्त एवं राजस्व सचिव तुहिन कांत पांडेय: वित्त मंत्री ने निर्णय लिया कि कुछ लोगों को थोड़ा ज्यादा फायदा देना चाहिए, इसलिए 5 लाख रुपये की अतिरिक्त छूट दी गई। इससे 12 लाख रुपये तक की आय वाले करीब एक करोड़ लोगों को फायदा होगा। हमें उम्मीद है कि यह पूरा पैसा बचत, खपत और निवेश के रूप में अर्थव्यवस्था में वापस आएगा।
वित्त मंत्री: हमने जनता की आवाज सुनी और खुद का भी आकलन किया था। अगर आप साल 2014 के कांग्रेस शासन के दौर की कर दरों से तुलना करें तो जो लोग 8 लाख रुपये तक कमाते हैं, उनकी जेब में आज के हमारे फैसले से एक लाख रुपये ज्यादा बच जाएंगे और 12 लाख रुपये तक की कमाई वालों को करीब 2 लाख रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो जाएगी।
पूंजीगत व्यय में खास बढ़त क्यों नहीं?
वित्त मंत्री: पूंजीगत व्यय पर सार्वजनिक खर्च में कोई कटौती नहीं की गई है। हमने सरकार के पूंजीगत व्यय के गुणक प्रभाव पर जोर बनाए रखा है। इसी वजह से टिके हुए हैं। यही नहीं, इसके साथ ही हमारा राजकोषीय विवेक साल 2020-21 में हमारे ऐलान के अनुरूप ही चल रहा है।
यह चुनाव का साल था और इसकी वजह से केंद्र और राज्य सरकारें, दोनों का निवेश सिर्फ दूसरी और तीसरी तिमाही से ही जोर पकड़ पाया।
अजय सेठ, आर्थिक मामलों के सचिव: प्रभावी पूंजीगत व्यय, जिसमें सरकार द्वारा राज्यों को उनके पूंजीगत व्यय के लिए दी जाने वाली राशि भी शामिल है, जीडीपी का 4.3 फीसदी है। तो यह क्षमता का मसला नहीं है। कई नए क्षेत्र सामने आ रहे हैं। उदाहरण के लिए शहरी क्षेत्र में आवंटन बढ़ रहा है।
मनोज गोविल, व्यय सचिव: एक पूंजीगत व्यय वह होता है जो हम सीधे देते हैं। दूसरा राज्य सरकारों को अनुदान के रूप में होता है। अगर आप सहायता अनुदान या पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण को भी इसमें शामिल कर लें तो अगले साल के लिए कुल राशि बजट आवंटन में 15.48 लाख करोड़ रुपये हो जाती है, जो कि मौजूदा वर्ष के संशोधित अनुमान से 15 फीसदी ज्यादा है।
विनिवेश और परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना के बारे में आप क्या कहेंगे?
पांडेय: हमने मूल्य सृजन का लक्ष्य रखा है विनिवेश का नहीं। लाभांश और विनिवेश, दोनों को साथ में देखा जाना चाहिए। इसमें पांच तत्व हैं- सीपीएसई का प्रदर्शन, संचार, सीपीएसई का पूंजीगत व्यय, सतत लाभांश नीति और सुनियोजित विनिवेश रणनीति। सूचीबद्धता भी इसका हिस्सा है। आप देखिए 80,000 से 90,000 करोड़ रुपये इस तरह से जुटाए गए हैं जो कि अल्पांश शेयरधारकों के लिए फायदेमंद है।
वित्त मंत्री: सकारात्मक प्रतिक्रिया के आधार पर हम मुद्रीकरण के लिए उपयुक्त कुछ और परिसंपत्तियों की पहचान कर रहे हैं। हम राज्यों के साथ गहन परामर्श में लगे हैं, इनमें से कई राज्यों ने उन परिसंपत्तियों को चिह्नित कर लिया है, जिनका उपयोग वे अपने लाभ के लिए करना चाहते हैं।
अजय सेठ: अभी तक हमें जो सफलता मिली है उसी आधार पर अगले चरण में हम अपना प्रयास दोगुना करना चाहते हैं। पारेषण परिसंपत्तियों जैसे नए परिसंपत्ति वर्गों को भी लाएंगे। ये परिसंपत्तियां सिर्फ भारत सरकार की ही नहीं बल्कि राज्य सरकारों की भी होंगी। इनके लिए मुद्रीकरण योजना का जल्द खुलासा किया जाएगा। मुद्रीकरण के पीछे सोच यह है कि सरकारी स्वामित्व वाली या पीएसयू की परिसंपत्तियों (जैसे कि एनएचएआई की) से हासिल राशि को नई परियोजनाओं में लगाया जाए ताकि अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिले। इससे मिली राशि सीधे केंद्र सरकार के खाते में नहीं जाएगी बल्कि जुड़े संगठनों के पास ही रहेगी जो इस कोष का इस्तेमाल आगे बुनियादी ढांचा विकास में कर सकेंगे।
द्विपक्षीय निवेश समझौते में बदलाव क्यों?
वित्त मंत्री: हम ज्यादा निवेश अनुकूल बनाने के लिए ही इसमें बदलाव करना चाहते हैं। भले ही यह यूएई के अनुरूप हो, लेकिन 2016 के संस्करण से अलग होगा। मैं किसी निश्चित खाके की बात नहीं कर रही। हम इसे ज्यादा मजबूत और निवेश अनुकूल बनाना चाहते हैं।
टैरिफ पर उठाए गए कदम ?
वित्त मंत्री: अभी तक बास्केट में बहुत तरह की जिंसों पर बहुत तरह के टैरिफ लगे थे जिसे हमने कम कर दिया है। जो आम धारणा बनाई गई है कि भारत में बहुत ज्यादा शुल्क है, सही नहीं है। आप यह देखेंगे कि हमने इसमें तेजी से कटौती की है और शुल्क सरल कर दिए हैं।