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सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बढ़ेगी अनुपालन लागत! AI जनरेटेड कंटेंट के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर जरूरी

नियमों में इस संशोधन का उद्देश्य हानिकारक और ‘यथोचित रूप से प्रामाणिक’ डीपफेक छवियों, ऑडियो और वीडियो के प्रसार को रोकना है

Last Updated- October 23, 2025 | 11:22 PM IST
Social Media

सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों में सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन से सोशल मीडिया के मध्यस्थों के लिए अनुपालन लागत का बोझ बढ़ा सकता है। उद्योग के अधिकारियों तथा नीति संबंधी विशेषज्ञों ने यह आशंका जताई है। इस प्रस्तावित संशोधन के तहत आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से निर्मित सभी सामग्री के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर अनिवार्य किया जाना है।

वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार नियमों में इस संशोधन का उद्देश्य हानिकारक और ‘यथोचित रूप से प्रामाणिक’ डीपफेक छवियों, ऑडियो और वीडियो के प्रसार को रोकना है। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘बड़ी टेक कंपनियों के साथ हमारी कई बैठकें हुई हैं, जहां उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि उनके पास इस समस्या से निपटने के लिए तकनीकी जानकारी और आवश्यक उपकरण हैं। अगर कोई विशिष्ट समस्या है, तो हम परामर्श अवधि के दौरान उसके बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।’

अलबत्ता विभिन्न सोशल मीडिया कंपनियों के अधिकारियों और नीति संबंधी विशेषज्ञों का कहना है कि केवल लेबल लगाने या एआई-सृजित ऐेसी सामग्री में मेटाडेटा डालने से समस्या का समाधान होने के आसार नहीं है।

एक सोशल मीडिया कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘नियमों में दायित्व लिखना आसान है, लेकिन तकनीकी रूप से उन्हें लागू करना बहुत मुश्किल है। उन्हें दरकिनार करना भी बहुत आसान है। यहां तक कि कोई गैर-तकनीकी व्यक्ति भी सामग्री बनाने के कुछ ही मिनटों के भीतर ऐसा कर सकता है और बाद में वॉटरमार्क, लेबल या डिस्क्लेमर मिटा सकता है।’

एक अन्य सोशल मीडिया कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एआई के डिस्क्लेमर या लेबल के लिए सरकार का आदेश, जो सामग्री के कम से कम 10 प्रतिशत क्षेत्र को कवर करता है, उपयोगकर्ता अनुभव में भारी हस्तक्षेप कर सकता है और अधिकांश प्लेटफॉर्म के लिए पेज-लोडिंग और लैंडिंग का समय बढ़ा सकता है।

First Published - October 23, 2025 | 10:11 PM IST

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