चीन की SAIC मोटर अपनी भारतीय संयुक्त उद्यम में 49 फीसदी हिस्सेदारी कम करेगी और आगे निवेश रोक रोकेगी। रॉयटर्स के मुताबिक, मामले से जुड़े पांच लोगों ने बताया कि यह इस बात का लेटेस्ट संकेत है कि एशियाई पड़ोसियों के बीच राजनीतिक तनाव का असर व्यापार पर भी पड़ रहा है।
SAIC का यह फैसला ऐसे समय आया है जब भारत ने 2020 में पड़ोसी देशों से होने वाले निवेश पर सीमा तय की थी। यह कदम मुख्य रूप से चीन को ध्यान में रखकर उठाया गया माना गया। उसी साल सीमा पर गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा।
भारत में कारोबार बढ़ाने के लिए SAIC, जो चीन की सबसे बड़ी सरकारी ऑटो कंपनियों में से एक है, ने भारतीय समूह JSW ग्रुप के साथ साझेदारी की थी। हाल ही में भारत और चीन के नेताओं ने संबंध सुधारने के लिए मुलाकात की थी, जिससे कारोबारी रिश्तों में सुधार की उम्मीद जगी थी। लेकिन अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। भारतीय ऑटो कंपनियां अब भी चीन से रेयर अर्थ खरीदने के लिए मंजूरी का इंतजार कर रही हैं।
JSW के साथ यह साझेदारी SAIC के लिए भारत में उसकी सबसे बड़ी उत्पादन इकाई में निवेश और नियामकीय अड़चनों को दूर करने के लिए थी। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, यह सफल नहीं हो पाई। SAIC भारत से बाहर नहीं जा रही है, लेकिन वह JSW MG मोटर में अपनी हिस्सेदारी काफी हद तक कम करना चाहती है और तकनीक व प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराती रहेगी।
JSW ने SAIC की अधिकांश हिस्सेदारी खरीदने का प्रस्ताव दिया है ताकि वह सबसे बड़ा शेयरधारक बन सके, लेकिन वैल्यूएशन को लेकर मतभेद है। SAIC अधिक कीमत चाहती है। बातचीत फिलहाल जारी है। SAIC, JSW और JSW MG मोटर ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
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कंपनियों के बीच विवाद की वजह सिर्फ राजनीति नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, JSW ने प्रतिद्वंद्वी चीनी कंपनी चेरी ऑटोमोबाइल के साथ भारत में कार बनाने को लेकर बातचीत की, जिससे SAIC नाराज हो गई। JSW लंबे समय से अपने ब्रांड के तहत कारें बेचना चाहता था और अब चेरी के साथ टेक्नोलॉजी साझेदारी (न कि इक्विटी साझेदारी) के लिए बातचीत अंतिम चरण में है। चेरी ने इस बारे में टिप्पणी नहीं की है।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार है और तेजी से खुद को उत्पादन हब के रूप में पेश कर रहा है। जापान की सुजुकी मोटर, जो भारत की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी है, अगले पांच से छह वर्षों में 8 अरब डॉलर का निवेश करने और भारत को इलेक्ट्रिक कारों के लिए वैश्विक उत्पादन बेस बनाने की योजना बना रही है।
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सूत्रों का कहना है कि इसमें अड़चन यह है कि निवेश पर रिटर्न चीन जाएगा या नहीं, क्योंकि शुरुआती फंड वहीं से आया था। इस प्रस्ताव की समीक्षा कर रहे भारी उद्योग मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय ने टिप्पणी नहीं की।
JSW MG मोटर को नुकसान हो रहा है और कैश फ्लो भी कमजोर है। हालांकि, कंपनी ने 2019 में 16,500 कारों की तुलना में 2024 में 61,000 कारें बेचीं। पारंपरिक कारों की बिक्री घटी है, लेकिन कंपनी टाटा मोटर्स के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी ईवी निर्माता बन गई है। इस बीच, भारत के तीसरे सबसे बड़े कार बाजार में प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी क्योंकि अमेरिकी कंपनी टेस्ला ने जुलाई में एंट्री कर ली है।