
भारतीय रिजर्व बैंक के इतिहास की बात
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अब अपने इतिहास के पांच खंड प्रकाशित किए हैं। मैं आरबीआई का शुक्रगुजार हूं कि मुझे भी इसका नवीनतम खंड भेजा गया। लेकिन यह लेख पुस्तक की समीक्षा से संबंधित नहीं है। यह लेख इस संदर्भ में है कि देश के वित्तीय कोष की समृद्ध विरासत को संभालने वाला आरबीआई […]


पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकारों के लिए राजनीतिक बयानबाजी उचित नहीं
भारत में वर्ष 1956 से कई मुख्य आर्थिक सलाहकार हुए हैं। आर्थिक सलाहकार वित्त मंत्रालय में बैठते हैं और मंत्रालय के लिए सलाहकार की भूमिका में होते हैं। इस पद का नाम मुख्य आर्थिक सलाहकार भी काफी भारी भरकम लगता है। मगर लगभग 20 वर्ष पहले तक यह पद बहुत ज्यादा चर्चित नहीं था। यह […]



आरबीआई का क्षेत्रीय मॉडल कितना सार्थक
यह सर्वमान्य बात से अलग एक गैरपरंपरागत विचार हो सकता है: क्या भारत में क्षेत्रीय मौद्रिक संस्थान होने चाहिए? इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह के केंद्रीय बैंकिंग मॉडल का अनुसरण करना चाहते हैं। क्या यह हमारे देश के मौजूदा केंद्रीकृत मॉडल की तरह हो जो वास्तव में एक […]


केवल अधिकार तय करे संस्थाओं का व्यवहार?
वर्ष 1951 के बाद केंद्र की सत्ता पर आरूढ़ किसी भी सरकार से यह पूछा जाए कि वह राज्यपालों के माध्यम से राज्य सरकारों पर पैनी नजर क्यों रखती है या न्यायपालिका पर वह निशाना क्यों साधती है तो जवाब एक जैसा होगा। सरकार कहेगी कि वह इसलिए ऐसा करती है कि उसे ऐसा करने […]


विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश का विरोध
कुछ लोग विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में प्रवेश की अनुमति देने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के प्रस्ताव से खासे नाराज हैं। उनका कहना है कि विदेशी विश्वविद्यालयों को बहुत आसान और फायदा पहुंचाने वाली शर्तों पर बुलाया जा रहा है। इसका विरोध करने वाले लोग एकदम गलत हैं क्योंकि विश्वविद्यालय वही बेच रहे हैं, […]


क्या ओलिंपिक मेजबानी के लिए गंभीर है भारत?
केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस सप्ताह के शुरू में कहा कि सरकार 2036 में ओलिंपिक की मेजबानी के लिए भारतीय ओलिंपिक संघ के बोली लगाने के प्रस्ताव का समर्थन करेगी और इसके लिए मेजबान शहर अहमदाबाद होने की संभावना है। सचमुच? या हाल में हिमाचल प्रदेश चुनाव में हार के बाद खोई हुई […]