कंक्रीट के जंगल और सिलिकन वैली से जुड़े भ्रम
सिलिकन वैली (silicon valley) की कहानी आज के दौर के उद्यमियों को बहुत आकर्षित करती है। यह कहानी प्रतिभा, कल्पनाशीलता, सृजनात्मकता और लगन का प्रतीक है। साथ ही यह शहरों को अवसरों के केंद्र में बदलने का प्रतीक है। यह एक आर्थिक विकास का खाका होने के साथ-साथ उद्यमशीलता के बढ़ने से पैदा होने वाली […]
कचरे के ढेर तले दबते जा रहे अपने शहर
प्रगति पर समकालीन बहस में आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच चले आ रहे पुराने द्वंद्व को खारिज कर दिया गया है। सतत विकास की जरूरत को समझना आज के वैश्विक दृष्टिकोण को रेखांकित करता है। अपशिष्ट उत्पादन और उसका सही तरीके से निपटान जैसे गंभीर मुद्दे पर हम सब का ध्यान केंद्रित रहता […]
शहरीकरण का जमशेदपुर मॉडल
झारखंड का जमशेदपुर शहर भारत के सफल औद्योगिक प्रयोग और शहरी योजना का साक्षी रहा है। वर्ष 1907 में दूरदर्शी उद्योगपति जमशेदजी नुसरवानजी टाटा ने जमशेदपुर की स्थापना की थी जिसे टाटानगर के नाम से भी जाना जाता है। भारत के इस पहले योजनाबद्ध औद्योगिक शहर की स्थापना एक सपने के साथ शुरू हुई थी। […]
लीज होल्ड से फ्री होल्ड हों वाणिज्यिक संपत्तियां
जब शहरीकरण के शुरुआती वर्षों पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि निरपवाद रूप से शहरी विकास और औद्योगीकरण की प्रक्रिया साथ-साथ चलती दिखती है। बड़ी संख्या में रोजी-रोटी की तलाश में भटकते लोगों को उद्योगों और कारखानों ने अपनी ओर आकर्षित किया। उद्योगों-कारखानों में काम करने वाले ये लोग आसपास ही बस […]
शहरी विकास के लिए व्यापक दृष्टिकोण जरूरी
वर्तमान समय में जिस रूप में शहरों का अस्तित्व दिख रहा है उसे देखते हुए उनके किसी दूसरे स्वरूप या अतीत में उनकी अलग संरचना की कल्पना करना मुश्किल हो जाता है। इस समय अत्याधुनिक या स्मार्ट शहरों का हाल कुछ इस तरह है कि जैसे वे आरंभ से ही ऐसे थे। अगर आप गुरुग्राम […]
प्रदूषण से घुट रहा भारत के शहरों का दम
कोरोना महामारी के दौरान की वे निराशाजनक यादें पिछले कुछ हफ्तों में ताजा हो गईं जब घर से बाहर निकलने वाले हर व्यक्ति के मुंह पर एन95 मास्क दिखने लगा। राष्ट्रीय राजधानी के ऊपर धुएं के बादल मंडरा रहे थे। हाल के वर्षों में भारत विशेषकर देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में सर्दी का […]
Editorial: शहरी गरीबी से निपटना…गंभीरता से विचार करने की जरूरत
शहरी माहौल के जटिल सवालों के बीच एक अकाट्य सत्य मौजूद है- शहरी अनौपचारिक क्षेत्र लंबे समय से शहरों की गरीबी से स्वाभाविक रूप से जुड़ा हुआ है। लिहाजा, अगर हम वाकई शहरी गरीबी खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं तो हमें अपने शहरों के अक्सर नजरअंदाज किए गए चेहरों को समझने के लिए गंभीरता […]
शहरी झुग्गी बस्तियां और विकास का क्रम
झुग्गी बस्तियों को शहरी नृविज्ञान के स्थानों के रूप में प्रस्तुत करते समय हमारे सामने दो महत्त्वपूर्ण चुनौतियां उत्पन्न होती हैं- पहला, ऐसी जगहों को शहरी पारिस्थितिकी में ‘सामाजिक कारक’ के रूप में परिकल्पित करना, जैसा कि कुछ नृविज्ञानी करेंगे और दूसरा, यह समझना कि झुग्गियों के इर्दगिर्द की छवियां कैसी हैं और ये वहां […]
भारत के शहर: निरंतरता की कथा
दुनिया भर में शहरों को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गतिविधियों का केंद्र माना जाता है। इन गतिविधियों में क्या शहरी रहा है इसका निर्धारण करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वे जीवित इकाइयां हैं और अपने आप में इतिहास के हिस्सों को संजोए हैं। अक्सर शहरों […]
Opinion: शहर, जलवायु परिवर्तन और शहरी बाढ़ पर सवाल
शहरों में बढ़ते खतरों से निपटने के नगर निकाय और सरकार के प्रयासों में सहायता के लिए नागरिकों के नेतृत्व वाली कार्य योजनाओं की भी आवश्यकता है। बता रहे हैं अमित कपूर और विवेक देवरॉय दुनियाभर में शहरीकरण न केवल एक वांछित लक्ष्य है बल्कि यह अब एक अपरिहार्य परिणाम में बदलता जा रहा है। […]









