चीन से होने वाले आयात के विरुद्ध व्यापार अवरोध
भारत पड़ोसी देश चीन (China) से आयात में सतर्कता बरते और शेष विश्व के साथ कारोबारी समायोजन बढ़ाए। सुझाव दे रहे हैं अजय शाह और इला पटनायक ऑटार्की यानी आम जन की सीमा पार गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप के विपरीत परिणामों की पूरी समझ अर्थशास्त्र में पेशेवर दक्षता की पहचान है। परंतु आज पूरी दुनिया […]
संगठनात्मक सुधार से ऊर्जा संक्रमण के मिलेंगे परिणाम
केंद्र सरकार में संगठनात्मक स्तर पर सुधार से सरकारी कामकाज अधिक सक्षम एवं प्रभावी ढंग से हो पाएंगे। बता रहे हैं अजय शाह और अक्षय जेटली सं शयवादी भारत में सरकार के भारी भरकम आकार पर लंबे समय से टीका-टिप्पणी करते रहे हैं। उनके अनुसार केंद्र सरकार का आकार 15 मंत्रियों एवं रायसीना हिल (राष्ट्रपति […]
बिजली सब्सिडी देने के तरीके में हो रहा सुधार
नीति निर्धारक बिजली सब्सिडी देने में अधिक पारदर्शिता बरतने लगे हैं। सरकारी खजाने से इस मद में दी जाने वाली सब्सिडी का भुगतान अब पहले की तुलना में काफी स्पष्ट एवं पारदर्शी हो गया है। यह बदलाव बिजली क्षेत्र की परंपरागत समस्याओं के निदान के लिए महत्त्वपूर्ण विकल्पों को बढ़ावा दे रहा है। इस क्षेत्र […]
अर्थव्यवस्था के लिए सही लचीली विनिमय दर
अर्थव्यवस्था को स्थिर और मजबूत बनाए रखने में लचीली विनिमय दर की अहम भूमिका होती है जो झटकों को बरदाश्त करने की काबिलियत रखती हो। बता रहे हैं अजय शाह विनिमय दर का लचीलापन झटके को बरदाश्त करने में मददगार होता है। जब बाहरी या आंतरिक झटके लगते हैं तो इसका कुछ बोझ लचीली विनिमय […]
संपत्ति और विरासत पर कर लगाना सही विचार नहीं…
देश में इस समय यह लोकलुभावन मांग जोरों पर हैं अमीरों से संपत्ति छीनकर उसे गरीबों में बांट दिया जाए। यह रास्ता निरंतर गरीबी और आर्थिक नाकामी की ओर ले जाता है। इन दिनों संपत्ति कर और विरासत कर के रूप में जिन दो विषयों पर चर्चा की जा रही है वे सार्वजनिक वित्त के […]
राजनीतिक कारोबारी चक्र के अलग-अलग मार्ग
चुनावी साल में वृहद आर्थिकी को लेकर हमारे विचार किस तरह बदलते हैं? सार्वजनिक चयन सिद्धांत कहता है कि राज्य लोगों से मिलकर बनता है और उनके हितों को अधिकतम तौर पर पूरा करने का प्रयास करता है। चुनाव राजनेताओं के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। ‘राजनीतिक कारोबारी चक्र’ का विचार चुनाव के पहले और […]
मुश्किल वैश्विक हालात में कंपनियों की बढ़ती चुनौतियां
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी, श्रम और विचारों के आदान-प्रदान पर पाबंदी में ढील उच्च आर्थिक वृद्धि का प्रमुख स्रोत थी। परंतु, इस समय चार ऐसी बातें या चुनौतियां हैं जो इस वैश्विक अर्थव्यवस्था को हानि पहुंचा रही हैं। दुनिया के देशों के बीच जुड़ाव एवं संपर्क बढ़ने से […]
Opinion: जलवायु परिवर्तन की तीन बड़ी चुनौतियां
अकार्बनीकरण की राह बिजली क्षेत्र से होकर जाती है। आज यह क्षेत्र देश के कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन के एक तिहाई के लिए जिम्मेदार है। वृद्धि के लिए अधिक बिजली की जरूरत है और अर्थव्यवस्था के अन्य हिस्से जीवाश्म ईंधन से बिजली की ओर जा रहे हैं। भारत में कार्बन मुक्त बिजली क्षेत्र की तस्वीर कैसी […]
शाम के वक्त बिजली आपूर्ति की चुनौतियां
सौर ऊर्जा का दायरा बढ़ रहा है। लेकिन शाम को जब सूरज ढल जाता है तब सौर ऊर्जा के बड़े उपयोगकर्ता फिर से ग्रिड वाली बिजली की सेवाएं लेने लगते हैं। आर्थिक वृद्धि और मानव निर्मित संरचनाओं और बुनियादी ढांचे के समूह वाले निर्मित वातावरण में बदलाव के चलते शाम को वातानुकूलित साधनों की मांग […]
Opinion: फिनटेक क्रांति का लेखाजोखा
भारत में मौजूदा वित्तीय प्रणाली की कमजोरी को देखते हुए फिनटेक महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं। वित्त का काम जोखिम और समय से बेहतर तरीके से निपटने के लिए वास्तविक अर्थव्यवस्था की मदद करना है। भारत में वित्त सही रहे इसके लिए आवश्यकता इस बात की है कि भौगोलिक और वर्ग की विविधता के साथ रहने […]