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लेखक : अजय शाह

आज का अखबार, लेख

CBAM से बदला ट्रेड गेम: भारत को छूट नहीं, कार्बन प्राइसिंग की जरूरत

बढ़ते वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) पर चर्चा 1990 के दशक की शुरुआत से चली आ रही है। कई दशकों तक इसका उल्लेख विभिन्न सम्मेलनों, संधियों और निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) रिपोर्ट तक ही सीमित रही। व्यावहारिक नजरिया रखने वाले लोगों ने अक्सर इसकी अनदेखी की। जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंता और इससे समाधान के लिए […]

आज का अखबार, लेख

IPO बाजार से कौन डरता है? नीति-निर्माताओं को सिर्फ खुलासों की चिंता होनी चाहिए

भारतीय आरं​भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) बाजार को लेकर माहौल में नाराजगी का भाव है। ताजा आंकड़े दिखाते हैं कि सूचीबद्धता लाभ कम हुए हैं। वर्ष 2025 में सूचीबद्ध हुई कंपनियों में से कई कंपनियां इश्यू मूल्य के नीचे कारोबार कर रही हैं। खुदरा निवेशक जो जल्दी रिटर्न की उम्मीद में इनकी ओर आकर्षित हुए थे […]

आज का अखबार, लेख

अमेरिकी चोट के बीच मजबूती से टिका भारतीय निर्यात, शुरुआती आंकड़े दे रहे गवाही

वर्ष 2025 के आखिरी महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर डर का माहौल है। दरअसल आम राय यह है कि अमेरिका की विरोधी व्यापार नीति हमारी आ​र्थिक वृद्धि को पटरी से उतार देगी। अमेरिका की टैरिफ नीति ने दो बड़े झटके दिए हैं। पहला, आयात शुल्क (टैरिफ) अप्रैल के 25 फीसदी से बढ़कर 27 अगस्त […]

आज का अखबार, लेख

वैज्ञानिक प्रतिभाओं को हासिल करने का मौका

अमेरिका द्वारा अपने बुनियादी अनुसंधान तंत्र को कमजोर किया जाना एक वैश्विक संकट उत्पन्न करता है लेकिन यह भारत के लिए एक अवसर भी पैदा करता है। बता रहे हैं अजय शाह और प्रल्हाद बुर्ली विभिन्न समाजों को नवाचारी व्यवस्थाएं बनाने की आवश्यकता होती है जिनके जरिये युवा शोधार्थियों को संगठित किया जा सके, उन्हें […]

आज का अखबार, लेख

भारत को अमेरिका-चीन टकराव से मिल रहे रणनीतिक अवसर का लाभ उठाना चाहिए

चीन, वैश्विक मूल्य आधारित व्यवस्था को योजनाबद्ध रूप से कमजोर कर रहा है। उसका सरकार के नेतृत्व वाला आर्थिक मॉडल ऐसे सिद्धांतों पर आधारित है जो विश्व व्यापार संगठन के नियमों के विपरीत हैं। इसमें बहुत बड़े पैमाने पर औद्योगिक सब्सिडी शामिल है जो विश्व स्तर पर अतिरिक्त क्षमता निर्मित करती है। इसके अलावा वह […]

आज का अखबार, लेख

जीएसटी का मूल सिद्धांत फेल, अगर इनपुट टैक्स क्रेडिट सिस्टम नहीं हो सरल

अप्रत्यक्ष कराधान व्यवस्था अगर त्रुटिपूर्ण हो तो यह आर्थिक वृद्धि की राह में एक बड़ा रोड़ा बन जाता है। हम इस प्रणाली को दुरुस्त करने के शुरुआती प्रयासों का भी हिस्सा थे जब मूल्य वर्द्धित कर (वैट) की तरफ कदम बढ़ाया गया था जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक स्थापित अप्रत्यक्ष कर धारणा थी। वैट को […]

आज का अखबार, लेख

शॉर्ट-डेट ऑप्शंस से फाइनैंस सिस्टम को मिलेगी नई ताकत, रोक से घटेगी लिक्विडिटी

देश में यह बहस चल रही है कि क्या सरकार को साप्ताहिक विकल्प अनुबंधों (वीकली ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट) पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करना चाहिए। यह बहस उन नियामकीय चिंताओं के बाद उत्पन्न हुई है जो खुदरा भागीदारी बढ़ने और बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत ट्रेडर्स को होने वाले नुकसान से उत्पन्न हुई […]

आज का अखबार, लेख

चीन की ओर झुकाव भारत के लिए उपयोगी नहीं, कमजोर होगा देश का डेमोक्रेटिक डिविडेंड

कई वर्षों से भारत और चीन के बीच के रिश्तों में बर्फ जमी है और टकराव होता रहा है। डोकलाम और गलवान में सीमा पर हुई हिंसा के बाद आर्थिक संबंधों को लेकर भारत का रुख यही रहा है कि सीमा पर शांति की शर्त पर ही आर्थिक सहयोग संभव है। सितंबर 2021 में रूपा […]

आज का अखबार, लेख

बेहतर जीएसटी की ओर: नए सुधार अहम, लेकिन और कदम जरूरी

देश के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर बहस तेज हो गई है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक चार बिंदुओं वाली आलोचना में कहा है: मौजूदा व्यवस्था बहुत अधिक जटिल है और इसकी वजह कई दरों का होना है, यह एमएसएमई को हतोत्साहित कर रही है, राजकोषीय संघवाद को क्षति पहुंचा रही है […]

आज का अखबार, लेख

बढ़ते डिजिटल फर्जीवाड़े से निपटने के लिए भारत को व्यापक रणनीति की जरूरत

भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ने और लोगों को लेनदेन में सहूलियत होने के साथ कई चुनौतियां भी सामने आई हैं। इनमें आपराधिक गतिविधियां बढ़ने से लेकर ऋण देने का दावा करने वाले अवैध मोबाइल ऐप्लिकेशन और ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी वारदात शामिल हैं। अलग-अलग मामले कभी-कभी जांच एवं अभियोजन से हल हो जाते हैं […]

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