
देश में बढ़ते प्राइवेट निवेश के क्या मायने हैं? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
भारत की वृद्धि में निजी निवेश का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। लंबे समय से निजी निवेश का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है। लंबी गिरावट का दौर 2021 में एकदम निचले स्तर तक पहुंच गया और हालिया प्रमाण सुधार दर्शाते हैं। यह एक अहम शुरुआत है लेकिन अभी हम यह नहीं जानते कि इसका नतीजा बड़ी […]

तकनीक से आसान होगा सूचना युद्ध से निपटना
संजय राय शेरपुरिया के कथित कारनामे आधुनिक भारत में सूचना युद्ध के प्रभाव पर रोशनी डालते हैं। तकनीक क्षेत्र में प्रगति (व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर) ने सूचना युद्ध के लिए संभावनाओं के एक नए संसार को जन्म दिया है। कई बेजा तत्व इसका फायदा अनुचित कार्यों में उठा रहे हैं। स्वेच्छाचारी शासक इन तकनीकों की […]

कार्बन कर व्यवस्था के बीच निर्यात
नीति निर्माताओं को भारत को दुनिया भर में कार्बन कर की बढ़ती पहुंच के साथ जोड़ने में मदद करनी चाहिए। इस विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हैं अजय शाह और अक्षय जेटली यूरोपीय कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) के क्रियान्वयन की दिशा में ठोस कदम आगामी 1 अक्टूबर, 2023 से उठाए जाएंगे और इसे […]

कैसे मजबूत बन सकती हैं भारतीय कंपनियां?
एक सफल भारत का मूल वह है जहां आम लोग और कंपनियां वैश्विक अर्थव्यवस्था में पूरी भागीदारी करें। भारत में जो व्यक्ति मजबूत और सक्षम कंपनियां तैयार करते हैं, उन्हें विनिर्माण संस्थाओं तथा पैसे को दुनिया भर में यहां-वहां ले जाने की पूरी पहुंच की आवश्यकता होती है। भारतीय समाजवाद के कई अवशेष हैं जो […]

भारत के सेवा निर्यात की गतिशीलता, अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन
भारत के निर्यात में आईटी तथा उससे संबद्ध सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर रहा है। इसके व्यापक रुझान के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं अजय शाह निर्यात की गतिशीलता आज के भारत के लिए खासतौर पर महत्त्व रखती है। इस मामले में दो क्षेत्र एकदम अलग नजर आते […]

वैश्विक उठापटक के बीच भारत सुरक्षित स्थिति में
वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ गई है। यह अनिश्चितता कुछ निश्चित माध्यमों के जरिये एक से दूसरे देश में पूंजी का प्रवाह प्रभावित करती है। विदेश से आने वाली पूंजी पर भारतीय अर्थव्यवस्था की निर्भरता कम है क्योंकि बाह्य पूंजी की अधिक आवश्यकता नहीं होती है। निवेश और बचत के बीच का अंतर पूंजी […]

वैश्विक संस्थानों में भारतीयों की सफलता की वजह
हम सभी ने इस बात पर ध्यान दिया होगा कि आईबीएम, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसे वैश्विक संस्थानों और अब विश्व बैंक में भारतीयों के पास नेतृत्व की भूमिका है। प्रवासियों के लिए इस तरह की सफलता हासिल करना आसान नहीं होता है। किसी नई संस्कृति में ढलना आसान नहीं होता है। जाहिर है हमें इन तमाम […]

कार्बन से होने वाला प्रदूषण और अस्थायी कामयाबी
जब कोई विकसित देश किसी खास उद्योग में प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्था करता है तो उन भारतीय प्रतिस्पर्धियों की मांग और मुनाफा बढ़ जाता है क्योंकि यहां प्रदूषण नियंत्रण कमजोर होता है। ये कंपनियां अपने लाभ के स्रोत के बारे में गंभीरता से विचार नहीं करतीं। उन्हें लगता है कि वे बहुत समझदार हैं और […]

दुनिया में कम हुई है अनिश्चितता
विगत एक वर्ष के दौरान वैश्विक स्तर पर वृहद आर्थिक हालात सुधरे हैं। वर्ष 2024 से निरंतर वृद्धि का सिलसिला शुरू होने की संभावना है। बता रहे हैं अजय शाह एक वर्ष पहले विश्व में असामान्य अनिश्चितता की स्थिति थी। दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई की दशा-दिशा की थाह पाना मुश्किल लग रहा था […]

आधुनिक सूचना युद्ध में विदेशी राज्य तत्त्व
हम अब इस बात के अभ्यस्त हो चुके हैं जहां कुछ कारक आधुनिक डिजिटल मीडिया के माध्यम से हमारी सूचनाओं को तोड़ने मरोड़ने का काम करते हैं। ऐसी गतिविधियां सरकारी तत्त्वों द्वारा की जाती हैं, खासतौर पर अलोकतांत्रिक देशों के तत्त्वों द्वारा। ब्रेक्सिट के समय रूस के तौर तरीके और 2016 के अमेरिकी चुनाव के […]