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लेखक : अजय शाह

आज का अखबार, लेख

परमाणु ऊर्जा के लिए अनुकूल हालात की जरूरत

बुनियादी नीति की बात करें तो पांच ऐसे क्षेत्र हैं जो संभावित परमाणु ऊर्जा उत्पादन को संभव बना सकते हैं। विस्तार से बता रहे हैं अजय शाह और अक्षय जेटली हम भारतीय यह मानते आए हैं कि अंतरिक्ष में कोई भी गतिविधि केवल सरकार करती है। परंतु अंतरिक्ष यात्रा को लेकर बेहतरीन वैश्विक ज्ञान में […]

आज का अखबार, लेख

वैश्विक स्थिरता, भारत की भूमिका और लाभ

दूसरे विश्व युद्ध के बाद हम दो चरणों से गुजरे। पहला, शीत युद्ध का दौर जब परमाणु प्रतिरोध पर जोर था और सीमित युद्ध हुए। सोवियत संघ के पतन के बाद अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में अराजक स्थितियों में युद्ध हुए। इन तमाम वर्षों के दौरान विश्व अर्थव्यवस्था की बुनियादी मशीनरी सही ढंग से काम […]

आज का अखबार, लेख

प्रोत्साहन पैकेज बदल देगा चीन के हालात?

चीन की सरकार ने हाल ही में जो प्रोत्साहन पैकेज देने की घोषणा की है, उससे गहरी समस्याओं का निराकरण होता नजर नहीं आता है। बता रहे हैं अजय शाह चीन की सरकार ने बड़े प्रोत्साहन की घोषणा की है। इसके फौरन बाद शांघाई कंपोजिट सूचकांक 26 फीसदी चढ़ा और एक महीने बाद अब यह […]

आज का अखबार, लेख

रियल एस्टेट में निवेश का जोश रोकना जरूरी, चीन की हालत देखकर भारत को लेनी चाहिए सबक

कई लोगों को अचल संपत्ति या रियल एस्टेट में निवेश आकर्षक लगता है। आम मध्यमवर्गीय परिवार तीन मकान खरीदने का ख्वाब देखता है: एक रहने के लिए, दूसरा बच्चों के लिए और तीसरा निवेश के लिए। जमीन में निवेश करने वाले कहते हैं, ‘जमीन में निवेश इसलिए अच्छा है क्योंकि नई जमीन तो बनने से […]

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आखिर कैसे आए देश में 10 गुना FDI

शी चिनफिंग ने 2013 में चीन की सत्ता संभाली और राष्ट्रवाद तथा राज्य की शक्ति के मनमाने प्रयोग पर नए सिरे से जोर दिया। इससे ज्यादा समृद्धि और अधिक स्वतंत्रता की दिशा में बढ़ने के ‘चीन मॉडल’ में बाधा उत्पन्न हुई। कई आर्थिक संकेतक बताते हैं कि चीन मॉडल 2017 के बाद से किस तरह […]

आज का अखबार, लेख

नीतिगत बदलाव और निवेश का गणित, जोखिम से कैसे निपटेगा निजी क्षेत्र?

क्या नीतियों को बार-बार पलटने वाले माहौल में नीतिगत जोखिम होते हैं और वह निजी निवेश को प्रभावित करता है? बाजार अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने के लिए एक मजबूत सरकार के साथ निरंकुश नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती जो समय-समय पर ऐसे निर्णय लेता हो जिन्हें बदला न जा सके। अहम बात है अच्छी नीतियां हासिल […]

आज का अखबार, लेख

न्याय व्यवस्था में सुधार की केरल की पहल देश-दुनिया के लिए बन सकती है नजीर

किसी भी अच्छे समाज के लिए न्याय बुनियादी जरूरत है। उदार लोकतंत्र बनाने का वादा सही ढंग से काम कर रही न्यायपालिका पर ही निर्भर करता है, जो सुनिश्चित करती है कि विभिन्न पक्षों के बीच प्रतिस्पर्धा में किसी को दबाया नहीं जाए। बाजार अर्थव्यवस्था का वादा पूरा करने के लिए भी व्यवस्थित ढंग से […]

आज का अखबार, लेख

नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए बिजली क्षेत्र में सधी रणनीति की जरूरत

कार्बन (जीवाश्म ईंधन) का युग समाप्त होने को है। अब हम इस बात पर चर्चा कर सकते हैं कि भारत में जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल कब बंद होगा। परंतु वर्ष 2070 तक विशुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना है तो वर्ष 2050 तक कार्बन रहित ऊर्जा तंत्र मजबूती से खड़ा करना होगा। एक […]

आज का अखबार, लेख

सरकारी कार्यक्रमों का रोजगार पर सीमित प्रभाव

बजट घोषणाओं में श्रम बाजार को ध्यान में रखकर अनेक तत्त्व शामिल किए गए हैं और यह वास्तव में भारत में एक बड़ी चिंता का विषय है। कुछ नई घोषणाएं मध्यम अवधि में निराश करने वाली हो सकती हैं। उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजनाओं यानी पीएलआई से हम जानते हैं कि भारत इतना बड़ा देश […]

आज का अखबार, लेख

नीट जैसी समस्याओं की गहरी हो पड़ताल

देश में नीट को लेकर मचे हो हल्ले के बीच ध्यान देने वाली बात यह है कि हमें सिर्फ तात्कालिक लक्षणों का समाधान नहीं करना चाहिए। बता रहे हैं अजय शाह और विजय केलकर राष्ट्रीय अर्हता सह पात्रता परीक्षा (NEET) के संचालन में नाकामी ने काफी नाराजगी पैदा की है। यह सोचना संभव है कि […]

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