वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने एक केंद्रीकृत एवं सशक्त साइबर सुरक्षा प्राधिकरण (cyber security authority) गठित करने का सुझाव दिया है। समिति ने कहा कि साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर विशेष रूप से वित्तीय सेवा ढांचे के लिए एक संस्था गठित करने की सिफारिश की है।
जयंत सिन्हा इस समिति के अध्यक्ष हैं। समिति की यह सिफारिश औद्योगिक समूहों, कंपनियों एवं बैंकों के शीर्ष अधिकारियों के साथ हुई विस्तृत चर्चा पर आधारित है। इस विषय पर आरबीआई, एनपीसीएल, सर्ट-इन, रेजरपे, फ्लिपकार्ट सहित अन्य इकाइयों से भी उनकी प्रतिक्रिया ली गई थीं।
समिति ने डिजिटल माध्यम से ऋण देने वाली इकाइयों और अन्य वित्तीय मध्यस्थों के लिए एक व्हाइट-लिस्टिंग फ्रेमवर्क (स्वीकार्य ई-मेल एड्रेस, आईपी एड्रेस, डोमेन नेम ऐंड ऐप्लिकेशन) की भी सिफारिश की है।
समिति के अनुसार इस उपाय से अनुचित व्यवहारों को रोकने में मदद मिलेगी और डिजिटल माध्यम वाले उधारी खंड में एक मानक संहिता बहाल करने में आसानी होगी।
समिति के अनुसार व्हाइट-लिस्टिंग फ्रेमवर्क क्रियान्वित करने से डिजिटल लेंडिंग ऐप (डीएलए) पर पैनी नजर रख कर नियमों का अनुपालन कराने एवं पारदर्शिता बहाल करने में मदद मिलेगी। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ऐसा करने से बाजार से फर्जी एवं अवैध डीएलए बाहर हो जाएंगे जिससे कर्जधारक ऐसे ऐप के झांसे और अन्य अनुचित गतिविधियों का शिकार होने से बच जाएंगे।’
समिति ने बड़ी तकनीकी एवं दूरसंचार कंपनियों सहित थर्ड-पार्टी सेवाएं देने वाली इकाइयों के नियमन का भी सुझाव दिया है। समिति ने ऐप स्टोर- ऐपल स्टोर और गूगल प्ले स्टोर- को सुरक्षा जांच-पड़ताल के लिए संबंधित अधिकारियों को सभी ऐप से जुड़ी पूरी जानकारियां उपलब्ध कराने की भी सलाह दी है।
समिति ने कहा, ‘जानकारियां इकट्ठी होने के बात नियामकों को गहराई से जांच करने, संभावित सुरक्षा चूक और इनसे निपटने के लिए डिजिटल खंड में उपयुक्त उपाय करने में मदद मिलेगी।’ साइबर हमले की बढ़ती घटनाओं और इन्हें रोकने के तरीके ईजाद करने के लिए वित्त पर इस स्थायी समिति का गठन हुआ था।