एशिया प्रशांत क्षेत्र में आने वाले वर्षों के दौरान चीन की जगह भारत पर विकास का दारोमदार होगा। एसऐंडपी ग्लोबल की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में विकास का इंजन चीन की जगह दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया होने का अनुमान है।
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक चीन की विकास दर वर्ष 2023 के 5.4 प्रतिशत से गिरकर वर्ष 2026 में 4.6 प्रतिशत हो जाएगी। इस अवधि में भारत की विकास दर वर्ष 2023 के 6.4 प्रतिशत से बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘हमें विकास का इंजन चीन की जगह दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया बनने का अनुमान है।’ इस दौरान क्षेत्र के अन्य देश जैसे वियतनाम, फिलिपींस और इंडोनेशिया के आगे बढ़ने का अनुमान है।
वियतनाम वर्ष 2023 की 4.9 प्रतिशत की दर की तुलना में वर्ष 2026 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। इस अवधि में फिलिपींस 5.4 प्रतिशत की तुलना में 6.4 प्रतिशत और इंडोनेशिया 5 प्रतिशत की यथावत दर से बढ़ने का अनुमान है। इस रिपोर्ट के मुताबिक एशिया प्रशांत क्षेत्र के केंद्रीय बैंक दीर्घावधि तक ब्याज दरों को उच्च रख सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘हमें क्षेत्रीय ब्याज दरें अधिक रहने का अनुमान है। अमेरिका का फेडरल रिजर्व महंगाई को काबू में रखने के लिए कड़ी मौद्रिक नीति पर कायम रहेगा। फेड और क्षेत्रीय केंद्रीय बैंकों की नीतिगत ब्याज दरों में अंतर होने से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था से पूंजी का प्रवाह बाहर हो सकता है और इससे घरेलू मुद्राएं दबाव में आएंगी।’
भारत में खुदरा महंगाई घटने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 27 में भारत में महंगाई गिरकर 4.7 प्रतिशत होने का अनुमान है जबकि वित्त वर्ष 24 में 5.5 प्रतिशत है। इस अवधि के दौरान नीतिगत ब्याज दरें 6.5 प्रतिशत से गिरकर 5 प्रतिशत होने का अनुमान है। एशिया प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि रहने मजबूत रहने का अनुमान है। इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं को श्रम बाजार और सेवा क्षेत्र से विस्तार मिलेगा।