चीन के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर अमेरिका के बाजार में प्रतिबंध लगने के बाद इस बाजार पर कब्जे की दौड़ में भारत पिछड़ गया है। अमेरिका ने 2018 के अंत में चीन के इलेक्ट्रानिक उत्पादों पर 25 फीसदी दंडात्मक शुल्क लगा दिया था। इसके बाद प्रतिस्पर्धी देशों वियतनाम, मलेशिया और मेक्सिको का अमेरिका को निर्यात तेजी से बढ़ा।
दंडात्मक शुल्क लगाने के बाद चीन के अमेरिका को होने वाले इलेक्ट्रानिक उत्पादों के निर्यात में बीते चार वर्षों के दौरान 29 अरब डॉलर की गिरावट आई। इसका सीधा असर यह हुआ कि अन्य प्रतिस्पर्धी देशों को अमेरिका के बाजार में पांव जमाने का मौका मिल गया। इंडियन सेल्यूलर इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन (आईसीईए) के भारत सरकार को भेजे गए नोट के मुताबिक इस अवधि के दौरान भारत का अमेरिका को होने वाले निर्यात में केवल 3.2 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2018 में भारत का अमेरिका को इस मद में निर्यात 1.3 अरब डॉलर था जो 2022 में बढ़कर 4.5 अरब डॉलर हो गया।
भारत की तुलना में वियतनाम का निर्यात कहीं तेजी से बढ़ा। इन चार वर्षों के दौरान वियतनाम को अमेरिका को किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में 39.3 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। हालांकि इस आलोच्य अवधि के दौरान मलेशिया के निर्यात में 7.9 अरब डॉलर और मेक्सिको के निर्यात में 20.4 अरब डॉलर का इजाफा हुआ।
यदि ताइवान को देखा जाए तो इन चार वर्षों में उसके निर्यात में 30.5 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। अमेरिका में मिले अवसर का भारत फायदा उठाने में विफल रहा है। यह इस तथ्य से भी प्रमाणित होता है कि अमेरिका को आयात हुए इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में भारत की 2022 में नगण्य 0.8 फीसदी हिस्सेदारी थी।
आईसीईए के मुताबिक अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में 350 फीसदी का इजाफा हुआ है लेकिन जब भारत के निर्यात की तुलना प्रतिस्पर्धी देशों से की जाती है तो अपर्याप्त नजर आता है। वाशिंगटन और न्यूयार्क में 15 मई को तीन दिवसीय भारत – अमेरिका के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का संवाद होने के मद्देनजर आईसीईए का आकलन महत्त्वपूर्ण हो जाता है। इस संवाद में 40 से अधिक अमेरिकी कंपनियां हिस्सा लेंगी और वे दोनों देशों के बीच कारोबार की संभावनाओं को तलाशेंगी।
आईसीईएने इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार विभाग को बताया कि अमेरिका और चीन के तनावपूर्ण संबंध भारत को अमेरिका में कारोबार बढ़ाने का स्वर्णिम अवसर मुहैया करवाते हैं। चीन पर लगाए गए शुल्क के मद्देनजर आईसीईए ने विश्लेषण किया है। इसके मुताबिक भारत को फ्लैट पैनल टीवी, संचार में इस्तेमाल होने वाले सेट टॉप बॉक्स, वायरलेस कम्युनिकेशन उपकरणों और साइटोस्कोप व अन्य चिकित्सकीय यंत्रों में इस्तेमाल होने वाले ग्लास इनवलप वाले लैम्प के निर्माण व निर्यात की संभावनाओं को तलाशना चाहिए।