Data Protection law: भारत डेटा संरक्षण कानून से जुड़े गोपनीयता नियमन की वजह से कंपनियों के परिचालन और डेटा से जुड़े कामों पर इसके संभावित प्रभाव को लेकर करीब 52 प्रतिशत संगठन बेहद चिंतित हैं। पेशेवर सेवाएं देने वाली कंपनी ईवाई के अध्ययन में यह बात सामने आई है।
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम, 2023 लागू होने के कई महीने बाद जारी सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 32 प्रतिशत संगठनों को तकनीकी स्तर पर क्रियान्वयन में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
लगभग 10 प्रतिशत संगठनों को इस बात की चिंता थी कि मौजूदा विक्रेता अनुबंधों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता होगी जबकि 50 प्रतिशत संगठनों को इसके लिए प्रासंगिक कौशल हासिल करना है लेकिन वे डेटा गोपनीयता कार्यों की आउटसोर्सिंग करने का विकल्प खुला रख रहे हैं।
डीपीडीपी अधिनियम की निश्चित प्रक्रियाओं के नियमों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है लेकिन सरकार ने लगातार दावा किया है कि बड़े संगठनों को इसका पालन करने में अधिक समय नहीं लगेगा। केवल छोटी स्टार्टअप, सरकारी संस्था तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त समय मिल सकता है।
सर्वेक्षण के नतीजों के मुताबिक केवल 36 प्रतिशत संगठनों में भारत के लिए डेटा संरक्षण अधिकारी (डीपीओ) हैं, जो कानून के तहत बेहद आवश्यक है।
संगठनों का मानना है कि यह डीपीडीपी अधिनियम के तहत सहमति प्रबंधन फ्रेमवर्क का प्रबंधन करने की उनकी क्षमता प्रभावित हो सकती है। अन्य जिन चुनौतियों की पहचान की गई है उनमें नियमन से जुड़े दिशानिर्देशों के बारे में जागरूकता में कमी, इनके अनुपालन में संसाधनों की कमी और बदलाव के लिए संगठनों में प्रतिरोध शामिल हैं।
इस अध्ययन में कहा गया है कि ये चुनौतियां संगठन के भीतर आवश्यक बदलावों को लागू करने में बाधा ला सकती हैं। ईवाई के अनुसार, इसके सर्वेक्षण में विभिन्न उद्योगों और विभिन्न भूमिकाओं वाले पेशे शामिल हैं। इसने पेशेवर सेवाओं, बैंकिंग और पूंजी बाजार, मीडिया एवं मनोरंजन, जीव विज्ञान, उपभोक्ताओं के लिए पैकेट वाले सामान और बीमा सहित कई उद्योगों के 105 पेशेवरों को शामिल किया।