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Adani Group की कंपनियों का बदल रहा शेयरधारक पैटर्न

एक विश्लेषक ने कहा, ‘मार्च 2024 तिमाही के दौरान एफपीआई ने अदाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों में से सात में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है।

Last Updated- April 23, 2024 | 10:53 PM IST
Adani Group

शॉर्ट सेलिंग और नियामकों की गहन जांच के बीच अदाणी समूह (Adani Group) की कंपनियों के शेयरधारकों के पैटर्न में काफी बदलाव आया है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के बजाय स्पष्ट पहचान वाले निवेशकों और व्यापक आधार वाले फंडों की मौजूदगी बढ़ी है।

स्टॉक एक्सचेंज द्वारा सार्वजनिक तौर पर जारी शेयरधारिता आंकड़ों के विश्लेषण से यह जानकारी मिली है। समूह की कंपनियों में सीधे तौर पर कम से कम 1 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले बड़े शेयरधारकों में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), अमेरिकी निवेशक जीक्यूजी पार्टनर्स, अबू धाबी की इंटरनैशनल होल्डिंग कंपनी और कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी की आईएनक्यू होल्डिंग शामिल हैं।

यहां तक कि घरेलू म्युचुअल फंडों ने भी अदाणी समूह के शेयरों में निवेश करना शुरू कर दिया है। समूह के कुछ शेयरों का निफ्टी 50 और निफ्टी नेक्स्ट 50 जैसे लोकप्रिय सूचकांकों में शामिल होना भी इसकी एक वजह है।

एक विश्लेषक ने कहा, ‘मार्च 2024 तिमाही के दौरान एफपीआई ने अदाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों में से सात में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है।
अधिकतर कंपनियों में खुदरा और घरेलू निवेशकों ने भी ऐसा ही किया है। एक या दो पुराने निवेश को छोड़ दिया जाए तो अदाणी समूह की कंपनियों के मौजूदा ढांचे पर उंगली उठाने की गुंजाइश नहीं है। समूह के परिचालन प्रदर्शन में सुधार होने, ऋण बोझ में कमी आने और बेहतर मूल्यांकन से इसे निवेशकों के बीच बेहतर स्वीकार्यता मिलेगी।’

अगर आप कुछ साल पहले की स्थिति पर नजर डालें तो तस्वीर अलग दिखेगी। अदाणी समूह की अधिकतर कंपनियों के बड़े शेयरधारक मॉरीशस के थे। उनके अंतिम लाभकारी स्वामित्व (यूबीओ) की पहचान करने में नियामक को भी कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। फिलहाल कुछ फंड जो बाजार नियामक सेबी की जांच के दायरे में हैं, उनका अदाणी समूह की कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी थी।

अदाणी समूह ने हमेशा किसी भी तरह की गड़बड़ी करने अथवा इनमें से किसी भी फंड से संबंध होने से इनकार किया है। बाजार नियामक सेबी ने निवेश संबंधी नियमों के कथित उल्लंघन के लिए जिन निवेशकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है उनमें अलबुला इन्वेस्टमेंट फंड, क्रेस्टा फंड, एपीएमएस इन्वेस्टमेंट फंड, इलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड, वेस्पेरा फंड और एलटीएस इन्वेस्टमेंट फंड शामिल हैं।

सोमवार को इकनॉमिक टाइम्स में सूत्रों के हवाले से छपी एक खबर में कहा गया है कि इन फंडों ने बाजार नियामक के पास समझौता याचिका दायर की है। इसके तहत कथित आरोपी जुर्माना भरकर लंबित मामले को बिना दोष स्वीकार या इनकार किए सुलझा सकता है।

प्राइम इन्फोबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि इनमें से अधिकतर फंडों के पोर्टफोलियो में अदाणी समूह के शेयरों की हिस्सेदारी घटी है। उदाहरण के लिए, दिसंबर 2023 तिमाही के अंत में अलबुला इन्वेस्टमेंट और वेस्पेरा फंड में से प्रत्येक की चार कंपनियों में हिस्सेदारी थी जबकि क्रेस्टा फंड के पोर्टफोलियो में पांच कंपनियां थीं और उनमें से कोई भी अदणी समूह की कंपनी नहीं थी।

First Published - April 23, 2024 | 10:14 PM IST

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