facebookmetapixel
Gold-Silver Outlook: सोना और चांदी ने 2025 में तोड़े सारे रिकॉर्ड, 2026 में आ सकती है और उछालYear Ender: 2025 में आईपीओ और SME फंडिंग ने तोड़े रिकॉर्ड, 103 कंपनियों ने जुटाए ₹1.75 लाख करोड़; QIP रहा नरम2025 में डेट म्युचुअल फंड्स की चुनिंदा कैटेगरी की मजबूत कमाई, मीडियम ड्यूरेशन फंड्स रहे सबसे आगेYear Ender 2025: सोने-चांदी में चमक मगर शेयर बाजार ने किया निराश, अब निवेशकों की नजर 2026 पर2025 में भारत आए कम विदेशी पर्यटक, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया वीजा-मुक्त नीतियों से आगे निकलेकहीं 2026 में अल-नीनो बिगाड़ न दे मॉनसून का मिजाज? खेती और आर्थिक वृद्धि पर असर की आशंकानए साल की पूर्व संध्या पर डिलिवरी कंपनियों ने बढ़ाए इंसेंटिव, गिग वर्कर्स की हड़ताल से बढ़ी हलचलबिज़नेस स्टैंडर्ड सीईओ सर्वेक्षण: कॉरपोरेट जगत को नए साल में दमदार वृद्धि की उम्मीद, भू-राजनीतिक जोखिम की चिंताआरबीआई की चेतावनी: वैश्विक बाजारों के झटकों से अल्पकालिक जोखिम, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूतसरकार ने वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी, ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर रोक

शुल्क के बोझ से BSE के Mcap पर 6,000 करोड़ रुपये की चोट

विश्लेषकों को लगता है कि अगले दो वित्त वर्ष में बीएसई (BSE) के लाभ पर चोट पड़ेगी और प्रति शेयर आय में गिरावट आएगी।

Last Updated- April 29, 2024 | 10:51 PM IST
BSE changes transaction fees for derivatives डेरिवेटिव के लिए बीएसई ने किया लेनदेन शुल्क में बदलाव

स्टॉक एक्सचेंज बीएसई (BSE) के शेयर ने सोमवार को कारोबारी सत्र के दौरान सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की। इसका कारण बाजार नियामक सेबी (SEBI) का आदेश रहा जिसमें उसने एक्सचेंज को अपने सालाना टर्नओवर (ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के नोशनल वैल्यू पर आधारित) पर नियामकीय शुल्क चुकाने को कहा है।

करीब 19 फीसदी फिसलने के बाद अंत में बीएसई का शेयर 13 फीसदी की गिरावट के साथ 2,783 रुपये पर बंद हुआ और इस तरह से उसके बाजार पूंजीकरण में 6,000 करोड़ रुपये की चोट पड़ी। एक्सचेंज ने कहा कि वह बाजार नियामक सेबी के 26 अप्रैल के पत्र के मुताबिक दावों की वैधता का आकलन कर रहा है।

कैश और फ्यूचर सेगमेट में सेबी सीधे-सीधे नियामकीय शुल्क लेता है क्योंकि वहां सिर्फ एक ही टर्नओवर होता है। लेकिन ऑप्शन सेगमेंट में नोशनल और प्रीमियम दोनों तरह के टर्नओवर होते हैं। चूंकि प्रीमियम टर्नओवर नोशनल टर्नओवर के मुकाबले कम होता है। लिहाजा बीएसई को फ्यूचर में ज्यादा शुल्क देना पड़ेगा।

विश्लेषकों को लगता है कि अगले दो वित्त वर्ष में बीएसई (BSE) के लाभ पर चोट पड़ेगी और प्रति शेयर आय में गिरावट आएगी।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का अनुमान है कि यह लागत बढ़ने से वित्त वर्ष 25/26 ई के लिए बीएसई के कर पश्चात लाभ में करीब 20 फीसदी की कमी आएगी लेकिन वह सकल स्तर पर कीमत में 30 फीसदी की बढ़ोतरी कर इसका प्रबंधन कर सकता है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने कहा, बीएसई ऑप्शन की कीमत बढ़ोतरी आय को लेकर विकल्प था, लेकिन अब यह जरूरत बन गई है। हालांकि ब्रोकरेज ने इस शेयर पर खरीद की सिफारिश बरकरार रखी है और लक्षित कीमत 3,100 रुपये दी है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुसार बीएसई के लिए नियामकीय शुल्क का असर ज्यादा है क्योंकि वह एक तिहाई प्रीमियम उसी नोशनल वैल्यू के लिए जुटाता है और कीमत एनएसई के मुकाबले 25 फीसदी कम है।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एक्सचेंज को नियामकीय शुल्क के अंतर के रूप में सेबी को 96.30 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। प्रीमियम टर्नओवर के आधार पर नियामकीय शुल्क के रूप में एक्सचेंज पहले ही 1.66 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है।

इसके बाद एक्सचेंज को वित्त वर्ष 2006-07 से वित्त वर्ष 2022-23 तक नियामकीय शुल्क के अंतर के तौर पर करीब 68.64 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। साथ ही इस पर जीएसटी भी देना होगा। यह शुल्क 30 अप्रैल तक देना है।

एमसीएक्स का शेयर भी 2.5 फीसदी टूटकर 4,066 रुपये पर आ गया क्योंकि सेबी के स्पष्टीकरण का असर इस एक्सचेंज पर लगने वाले नियामकीय शुल्क पर पड़ेगा। हालांकि एमसीएक्स पर असर बीएसई के मुकाबले काफी कम है।

First Published - April 29, 2024 | 10:35 PM IST

संबंधित पोस्ट