उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि कि जब कंपनी दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (IBC) 2016 के तहत परिसमापन से गुजर रही हो तो कर्मचारियों के बकाए का भुगतान तरजीही भुगतान के तहत नहीं होगा।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और संजीव खन्ना के पीठ ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें कंपनी अधिनियम की धारा 327 (7) की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी।
ऐसा करके न्यायालय ने प्रावधान को बरकरार रखा है। कंपनी अधिनियम की धारा 326 और 327 के तहत कंपनी बंद होने की स्थिति में कुछ भुगतान जैसे कर्मचारियों के बकाये और केंद्र और राज्य सरकारों या स्थानीय निकाय के राजस्व, करों व उपकरों का भुगतान प्राथमिकता में रखा गया है।
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कंपनी अधिनियम 2013 के अनुच्छेद 327 (7) में एक नोट में धारा 326 और 327 को लागू करने के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है, अगर कंपनी का आईबीसी के तहत परिसमापन हो रहा हो।