भारत और अमेरिका एक साल में न्यूनतम 3.36 लाख टन स्टील और एल्युमीनियम के लिए एक संयुक्त निगरानी व्यवस्था स्थापित करेंगे। बगैर अतिरिक्त शुल्क भुगतान के अमेरिका को यह निर्यात होगा।
दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे कारोबारी विवाद के हाल में समाधान के बाद भारत अब 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भुगतान किए बगैर स्टील और एल्युमीनियम का निर्यात कर सकेगा। वहीं भारत ने 8 अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिकारी शुल्क हटा दिया है, जिसमें सेब, बादाम, अखरोट और मसूर की दाल शामिल है।
वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष कुमार ने कहा, ‘हम साल में 2 बार बैठक करेंगे। हमने इस्पात और खनन मंत्रालयों से एक-एक अधिकारी को नामित करने को कहा है जो हितधारकों एवं निर्यातकों से बात कर सके।’
कुमार ने कहा कि अतिरिक्त शुल्क के बगैर निर्यात को संभव बनाने के बारे में दोनों देशों के अधिकारी साल में 2 बार मुलाकात करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में अगर कोई चुनौती आती है तो मामले को वाणिज्य विभाग को भेजा जाएगा, जिसे संयुक्त निगरानी व्यवस्था (जेएमएम) की अमेरिका में होने वाली बैठक में उठाया जाएगा।
कुमार ने कहा, ‘न्यूनतम 3.35 लाख टन स्टील और एल्युमीनियम के आवेदनों को हर साल अनुमति दी जाएगी। यह न्यूनतम मात्रा है। अमेरिका ने कुछ विश्वसनीय कारोबारियों से आयात की अनुमति दी है।’
वाणिज्य मंत्रालय ने इसके पहले कहा था कि इस कदम का उल्लेखनीय असर पड़ेगा और भारत के स्टील और एल्युमीनियम निर्यात में करीब 35 प्रतिशत वृद्धि होगी। ये आवेदन धारा 232 की एक्सक्लूसन प्रक्रिया के तहत होंगे, जो निर्यातकों के हवाले से आयातक करेंगे। अमेरिका ने धारा 232 का इस्तेमाल करके ये शुल्क लगाए थे, जिसमें राष्ट्रपति आयात को प्रतिबंधित कर सकता है। अतिरिक्त शुल्क की वजह से भारत का 1.21 अरब डॉलर का स्टील और एल्युमीनियम निर्यात प्रभावित हुआ था।