कोयला मंत्रालय ने आज भूमिगत कोयला और लिग्नाइट गैसीकरण (यूसीजी) ब्लॉकों के लिए खनन और खदान बंद करने की योजनाओं की तैयारी के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए। इनमें प्रायोगिक व्यवहार्यता अध्ययन, रियल टाइम भूजल निगरानी और खदान बंद करने के लिए एक एस्क्रो फंड अनिवार्य किया गया है।
मसौदे में कोयला और लिग्नाइट के गैसीकरण के लिए नियामक ढांचा तय किया गया है और इस पर 30 दिन के भीतर हिस्सेदारों से प्रतिक्रिया मांगी गई है। दिशानिर्देश में परियोजना की व्यवहार्यता, सुरक्षा, पर्यावरण प्रबंधन और खनन के बाद पुनर्वास की प्रक्रियाओं की रूपरेखा बताई गई है।
परियोजना पर काम शुरू करने के पहले इसके प्रस्तावकों को एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक या अनुसंधान संस्थान के माध्यम से पायलट व्यवहार्यता अध्ययन करना होगा। खनन योजनाओं में 3डी हाइड्रोजियोलॉजिकल मॉडल, एक वर्ष का बेसलाइन भूजल डेटा और कंटामिनेंट मूवमेंट पर दीर्घकालिक अनुकरण शामिल होना चाहिए।
टेलीमेट्री सक्षम व्यवस्था और ऑनलाइन सेंसर का उपयोग करके निरंतर भूजल निगरानी अनिवार्य की गई है, जिसमें केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के पास रियल टाइम डेटा उपलब्ध होगा।
जमीन धंसने, भूमिगत आग और भूजल में विषाक्त मिश्रण की भविष्यवाणी और उसे कम करने के लिए खदानों के आधार पर अध्ययन अनिवार्य किया गया है। प्रत्येक परियोजना में एक आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना भी होनी चाहिए, जिसमें हाइड्रोलिक कंटेनमेंट के नुकसान या अप्रत्याशित रूप से जमीन खिसकने जैसे खतरों से बचने के उपायों का विवरण हो।
वैज्ञानिक तरीके से खदान बंद किया जाना सुनिश्चित करने के लिए कंपनियों को कोयला नियंत्रक संगठन (सीसीओ) के साथ एक एस्क्रो खाता बनाए रखना होगा, जिसमें आधार दर (सितंबर 2025) के रूप में 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर जमा करने होंगे, जिसमें थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर वृद्धि होगी।