व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर शून्य जीएसटी दरें लागू होने के एक महीने बाद बिक्री और पूछताछ में उछाल आई है। बीमाकर्ताओं ने जीएसटी दरें शून्य करने का पूरा लाभ ग्राहकों को दे दिया है लेकिन इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) खत्म करने के परिणामस्वरूप विशेष तौर पर बुनियादी चुनौतियां जारी रहीं। बीमाकर्ताओें ने संकेत दिया है कि वे इस प्रभाव का कुछ बोझ वितरकों पर डालेंगे और वे अपने उत्पादों में समायोजन कर इस प्रभाव को कम करेंगे। इससे अल्पावधि में मार्जिन प्रभावित होने की संभावना है।
बीमाकर्ताओं को उम्मीद है कि बीमा के प्रीमियम पर जीएसटी शून्य किए जाने से बीमा उत्पादों की उपलब्धता बढ़ेगी। इससे भविष्य में मांग बढ़ेगी और इससे बीमा उद्योग की अल्पावधिक समस्याएं कम होंगी।
पॉलिसीबाजार के जनरल इंश्योरेंस के मुख्य बिजनेस अधिकारी (सीबीओ) अमित छाबड़ा ने बताया, ‘सुरक्षा श्रेणी के तहत आने वाले स्वास्थ्य और जीवन बीमा की मांग के पैटर्न ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। मांग व्यापक रूप से बढ़ी जबकि पॉलिसी के कन्वर्जन में भी वृद्धि हुई। इस दौरान खपत के रुझान में भी बदलाव आया है। लोग अधिक रकम के बीमा या बहुवर्षीय पॉलिसियों के विकल्प को चुन रहे हैं।’
जीएसटी परिषद् ने सितंबर में सभी व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों को कर में पूरी छूट के साथ साथ उन्हें पुन: जारी करने में कर से पूरी तरह छूट दे दी थी। इससे बीमा के दायरे का विस्तार हुआ है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक व सीईओ अरूप बागची ने परिणाम जारी करने के बाद के कार्यक्रम में कहा था, ‘जीवन बीमा पर जीएसटी की छूट के बाद शुरुआती रुझान सकारात्मक थे। हमने वेबसाइट के ट्रैफिक, पूछताछ करने और पूछताछ को बिक्री में बदलने के रुझान को महसूस किया। यह ग्राहकों के साथ बेहतर संवाद को दर्शाता है।’
एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस की प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी विभा पडलकर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में बताया था कि कंपनी ने सितंबर के महीने में खुदरा सावधि जीवन बीमा कंपनियों के उत्पादों में 50 प्रतिशत से अधिक वृद्धि को दर्ज किया था।