कोविड महामारी की बंदिशें हटने के बाद आयोजित हो रहे पहले बड़े खेल आयोजन पेरिस ओलिंपिक में बड़ी संख्या में पर्यटकों के फ्रांस का रुख करने की संभावना है। इसे देखते हुए पर्यटकों को निशाना बनाने के लिए साइबर ठगों ने भी अपनी तिकड़में लगानी शुरू कर दी हैं।
सुरक्षा विशेषज्ञ लोगों को साइबर ठगों के जाल में फंसने से बचने के लिए आगाह कर रहे हैं। उदाहरण के लिए 2024 के ओलिंपिक खेलों के आयोजन स्थल पेरिस शहर में लगभग 25,000 मुफ्त वाई-फाई लगाए गए हैं। एक विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से करीब 25 प्रतिशत वाई-फाई कनेक्शन में गोपनीय टूल हैं ही नहीं, यदि कहीं हैं भी, तो बहुत ही कमजोर। कैस्पर्सकी की रिपोर्ट के अनुसार यदि पर्यटक सार्वजनिक वाई-फाई का इस्तेमाल करते हैं तो खतरे से खाली नहीं हैं। साइबर ठग आसानी से उन्हें निशाना बना सकते हैं।
इसके अलावा लगभग 20 प्रतिशत वाई-फाई को डब्ल्यूपीएस से लैस किया गया है, यह एक पुराना एल्गोरिद्म है, जिससे साइबर ठगों का काम बहुत आसान हो जाता है और थोड़ी सी लापरवाही में उपयोगकर्ता अपने डाटा से हाथ धो सकते हैं। केवल 6 प्रतिशत वाई-फाई नेटवर्क ही नए डब्ल्यूीए3 सुरक्षा प्रोटोकॉल से लैस पाए गए हैं।
कैस्पर्सकी की जीआरईएटी (ग्लोबल रिसर्च ऐंड एनालिसिस टीम) की मेटा रिसर्च यूनिट के हेड अमीन हस्बिनी ने कहा, ‘फ्रांस में ओलिंपिक खेलों के लिए प्रैक्टिस करने वाले खिलाडि़यों की तरह ही साइबर ठगों ने भी अपनी तैयारी कर रखी है। चूंकि खेलों के दौरान लाखों लोग पेरिस आएंगे और निश्चित रूप से यहां के होटलों, फन जोन तथा खेल आयोजन स्थलों पर गतिविधियां बढ़ जाएंगी। इसका फायदा उठा कर साइबर ठग डाटा चोरी करने या आंकड़े इंटरसेप्ट करने के लिए वाई-फाई का फर्जी तरीके से लिंक हासिल कर सकते हैं या वैध नेटवर्क का सुरक्षा ढांचा तोड़कर पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड की जानकारी और अन्य संवेदनशील जानकारी और आंकड़े चोरी कर अपनी मनमर्जी इस्तेमाल कर सकते हैं।’
वाई-फाई की संवेदनशीलता के साथ-साथ वैश्विक खेल आयोजन ने भी साइबर ठगों को खूब आकर्षित किया है। कलाउडफ्लेयर के विश्लेषण से पता चलता है कि पेरिस ओलिंपिक से संबंधित फर्जीवाड़े वाले ईमेल की बाढ़ सी आ गई है। इस साल जनवरी से जुलाई अंत तक फर्म ने लगभग पांच लाख ईमेल की जांच की है, जिनके सब्जेक्ट लाइन में ओलिंपिक अथवा पेरिस 2024 लिखा था। इनमें से 1.5 प्रतिशत स्पैम और 0.2 प्रतिशत ठगी के इरादे से लिखी गई थीं।
विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर ठगों द्वारा फर्जी वाई-फाई हॉटस्पॉट- वाई-फाई हनीस्पॉट के माध्यम से भी पर्यटकों के साथ ठगी को अंजाम दिया जा सकता है।
ईवाई इंडिया फॉरेंसिक ऐंड इंटिग्रीटी सर्विसेज- साइबर फॉरेंसिक में साझेदार रंजीत बेल्लारी ने कहा, ‘पर्यटकों को अपने वाई-फाई पर लाने के लिए साइबर ठग अक्सर फ्री पब्लिक वाई-फाई जैसे नाम रखते हैं या वैध नेटवर्क की नकल करते हैं जैसे- कॉफी शॉप वाई-फाई। जैसे ही कोई व्यक्ति इनके नेटवर्क की जद में आता है, ठग आसानी से आपके गोपनीय डाटा तक पहुंच जाते हैं। वे डाटा चोरी के साथ आपकी डिवाइस में वायरस भी डाल सकते हैं।’
वैश्विक सुरक्षा फर्म पालो आल्टो ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया था कि पेरिस में ओलिंपिक खेलों के दौरान अधिकांश घटनाएं वित्तीय चोरी से संबंधित हो सकती हैं।
इसके साथ ही साइबर ठग लोगों को ओलिंपिक की असली वेबसाइट की जैसी वेबसाइट बनाकर भी धोखा दे सकते हैं, जिसमें शहर के लिए अनजान लोगों को परिवहन, बुकिंग या इवेंट प्लानिंग ऐप आदि से संबंधित जानकारी दी गई होगी। ओलिंपिक की असली वेबसाइट समझकर इस फर्जी वेबसाइट पर आने वाले पर्यटक आसानी से साइबर ठगी का शिकार हो सकते हैं।
भारत उन शीर्ष 10 देशों में शामिल है, जहां से पेरिस ओलिंपिक वेबसाइट पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक आता है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ओलिंपिक खेलों के दौरान पेरिस जाने वाले भारतीय पर्यटक या खेल प्रेमी भी साइबर ठगों के निशाने पर होंगे। उन्हें अत्यधिक सतर्क रहने की जरूरत है।