अप्रैल-मई 2023 के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का निर्यात बढ़कर छठे से चौथे पायदान पर आ गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक यह पहला मौका है, जब भारत से होने वाले शीर्ष 30 जिंसों के निर्यात में इलेक्ट्रॉनिक सामान शीर्ष 5 में शामिल हो पाया है। इलेक्ट्रॉनिक्स ने कार्बनिक व अकार्बनिक रसायनों और दवाओं व फार्मास्यूटिकल्स को पछाड़ दिया है।
इस अवधि के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स आयात पिछले साल की समान अवधि के 3.06 अरब डॉलर की तुलना में 48 प्रतिशत बढ़कर 4.54 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इंडियन सेलुलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के मुताबिक मोबाइल उपकरणों के निर्यात में जोरदार बढ़ोतरी से इसे बल मिला है, जो बढ़कर 2.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में मोबाइल की हिस्सेदारी 58 प्रतिशत से ज्यादा है।
अप्रैल-मई 2023 के दौरान शीर्ष 10 निर्यातित वस्तुओं में इलेक्ट्रॉनिक्स की हिस्सेदारी मूल्य के हिसाब से बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई है, जो पहले के साल में सिर्फ 4.54 प्रतिशत थी। इसे भारत के निर्यात बॉस्केट में इसके बढ़ते महत्त्व का पता चलता है। यह भी दिलचस्प है कि रत्न एवं आभूषण (जो तीसरे स्थान पर है) के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स का अंतर बहुत तेज घट रहा है, क्योंकि इस सेक्टर में वैश्विक मंदी है और यूरोप के कई देशों में आर्थिक सुस्त के कारण मांग घटी है।
इसकी वजह से रत्न एवं आभूषण का निर्यात अप्रैल-मई के दौरान घटकर 5.25 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में हुए 6.69 अरब डॉलर निर्यात से 22 प्रतिशत कम है। हालांकि अभी भी रत्न एवं आभूषण का निर्यात वित्त वर्ष 23 के अप्रैल मई के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्यात से करीब 15 प्रतिशत ज्यादा है, लेकिन इसके पहले यह 118 प्रतिशत अधिक था।
आईसीईए का अनुमान है कि इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात भारत होने वाला तीसरा सबसे बड़ा निर्यात हो जाएगा और वह 2025 तक रत्न एवं आभूषण को पीछे छोड़ते हुए तीसरे स्थान पर काबिज हो जाएगा।
यह सफलता सिर्फ एक सेग्मेंट, मोबाइल डिवाइस की वजह से दिख रही है, जिसमें ऐपल के वेंडरों फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन की अहम भूमिका है। मोबाइल डिवाइस के कुल निर्यात में इनकी हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से कम है। दूसरे हिसाब से कहें तो ऐपल का निर्यात अप्रैल-मई 2023 के दौरान शीर्ष 10 निर्यातों के कुल मूल्य का 3.5 प्रतिशत था।