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ब्रिटेन की AEM भारत में लाएगी रेयर-अर्थ और कॉपर-फ्री मोटर टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलेगी नई रफ्तार

ब्रिटेन की एईएम ने भारत में दुर्लभ मैग्नेट और कॉपर-फ्री इलेक्ट्रिक मोटर टेक्नोलॉजी के साथ प्रवेश कर टिकाऊ इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को नया विकल्प देने की दिशा में कदम बढ़ाया।

Last Updated- July 11, 2025 | 10:49 PM IST
electric vehicles
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अधिक टिकाऊ और भू-राजनीतिक रूप से स्वतंत्र बनाने के प्रयास में ब्रिटेन की एडवांस्ड इलेक्ट्रिक मशीन्स (एईएम) अपनी रेयर-अर्थ और कॉपर-फ्री इलेक्ट्रिक मोटर प्रौद्योगिकी के साथ भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र में प्रवेश कर रही है।

कंपनी ने स्टर्लिंग टूल्स की ईवी इकाई, स्टर्लिंग जीटेक इलेक्ट्रो मोबिलिटी (एसजीईएम) के साथ साझेदारी की है ताकि एसजीईएम के फरीदाबाद संयंत्र में अपने ट्रैक्शन मोटर के उत्पादन और असेंबली को स्थानीय बनाया जा सके। इस वर्ष की शुरुआत में घोषित एईएम और एसजीईएम के बीच प्रौद्योगिकी लाइसेंसिंग समझौते से एईएम के स्वामित्व वाले हाई डेंसिटी रीलक्टेंस मोटर्स (एचडीआरएम) के निर्माण की सुविधा मिलेगी, जो ट्रैक्शन मोटर्स की एक नई श्रेणी है।

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यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब वैश्विक रूप से करीब 85 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन पयार्वरण संबंधित और आपूर्ति श्रृंखला संबंधित चिंताओं के बावजूद अपनी मोटरों में नियोडाइमियम और डाइसप्रोसियम जैसी दुर्लभ मैग्नेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। एईएम का एचडीआरएम प्लेटफॉर्म इन एलीमेंट की जरूरत दूर करता है और इसके बजाय एल्युमीनियम वाइंडिंग का इस्तेमाल करता है जिसमें कंडक्टर भार 60 फीसदी तक घट जाता है, मैटेरियल लागत में 90 प्रतिशत तक की कटौती होती है और रीसाइक्लिंग प्रक्रिया आसान हो जाती है। ये मोटरें ऊंचे पावर-टु-वेट अनुपात और सभी ड्राइव साइकल में बेहतर ऊर्जा दक्षता भी प्रदर्शित करती हैं, जिससे कुछ मामलों में ईवी रेंज में 12-15 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। एईएम के मुख्य कार्याधिकारी जेम्स विडमर ने कहा, ‘दुर्लभ मैग्नेट और कॉपर पर निर्भरता न तो आर्थिक रूप से और न ही पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ है।’

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उन्होंने कहा, ‘एचडीआरएम के साथ, हम आईपीएम मोटरों का एक डायरेक्ट, ड्रॉप-इन विकल्प पेश कर रहे हैं जिसमें दक्षता या प्रदर्शन से कोई समझौता नहीं करने की जरूरत होगी।’ एईएम की मोटरों का पूरे यूरोप और एशिया में पहले से ही वाणिज्यिक रूप से इस्तेमाल हो रहा है। इन्हें ई-बसों, ट्रकों और ट्रेनों में इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपनी को एसएएफ-हॉलैंड जैसे वैश्विक टियर 1 आपूर्तिकर्ताओं से मान्यता मिल गई है और अब वह वाणिज्यिक और यात्री वाहन खंडों में भारतीय ओईएम से बात कर रही है।

First Published - July 11, 2025 | 10:30 PM IST

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