न्यायमूर्ति ग्यान सुधा मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन के आचरण को माफियागिरी बताते हुये अपने सदस्यों पर उन कंपनियों के साथ कारोबार नहीं करने की बंदिश लगाये जाने पर सवाल उठाया जो उनकी सदस्य नहीं हैं।
न्यायाधीशों ने कहा कि इस तरह की माफियागिरी में लिप्त होने वाले संगठनों को इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि एसोसिएशन के इस तरह के आचरण को प्रतिस्पर्धा के खिलाफ बताने वाले प्रतिस्पर्धा आयोग के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई की जानी चाहिए।
न्यायालय बाद में एसोसिएशन की याचिका पर पांच सितंबर को विचार करने के लिये तैयार हो गया।
न्यायालय ने कहा कि आपको पहले यह बताना होगा कि किन प्रावधानों के तहत आप अपने सदस्यों पर इस तरह की बंदिश लगाते हैं जो उनके कारोबार के अधिकार को प्रभावित करती हैं।
आयोग ने कहा था कि सिनेमा वितरकों का प्रतिनिधित्व करने वाली यह एसोसिएशन कई तरह की प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं।
आरोप है कि एसोसिएशन फिल्म निर्माताओं और वितरकों को अपनी फिल्म का उसके साथ पंजीकरण करने के लिये बाध्य कर रही है और गैर सदस्यों के साथ कारोबार नहीं करने के लिये उसके नियम कानूनों का पालन करने के लिये मजबूर कर रही है।
भाषा अनूप