facebookmetapixel
Gold-Silver Outlook: सोना और चांदी ने 2025 में तोड़े सारे रिकॉर्ड, 2026 में आ सकती है और उछालYear Ender: 2025 में आईपीओ और SME फंडिंग ने तोड़े रिकॉर्ड, 103 कंपनियों ने जुटाए ₹1.75 लाख करोड़; QIP रहा नरम2025 में डेट म्युचुअल फंड्स की चुनिंदा कैटेगरी की मजबूत कमाई, मीडियम ड्यूरेशन फंड्स रहे सबसे आगेYear Ender 2025: सोने-चांदी में चमक मगर शेयर बाजार ने किया निराश, अब निवेशकों की नजर 2026 पर2025 में भारत आए कम विदेशी पर्यटक, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया वीजा-मुक्त नीतियों से आगे निकलेकहीं 2026 में अल-नीनो बिगाड़ न दे मॉनसून का मिजाज? खेती और आर्थिक वृद्धि पर असर की आशंकानए साल की पूर्व संध्या पर डिलिवरी कंपनियों ने बढ़ाए इंसेंटिव, गिग वर्कर्स की हड़ताल से बढ़ी हलचलबिज़नेस स्टैंडर्ड सीईओ सर्वेक्षण: कॉरपोरेट जगत को नए साल में दमदार वृद्धि की उम्मीद, भू-राजनीतिक जोखिम की चिंताआरबीआई की चेतावनी: वैश्विक बाजारों के झटकों से अल्पकालिक जोखिम, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूतसरकार ने वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी, ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर रोक

वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री बढ़ी

Last Updated- December 11, 2022 | 8:55 PM IST

फरवरी में अधिकतर वाहन विनिर्माताओं के वाणिज्यिक वाहनों के डिस्पैच में उल्लेखनीय वृद्धि हुई जिसे मुख्य तौर ऑपरेटरों की लाभप्रदता में सुधार होने से बल मिला। बेड़े की उपयोगिता में सुधार होने से ऑपरेटरों की आय बढ़ी जिससे वे नए वाहन खरीदने के लिए प्रेरित हुए।
देश की शीर्ष चार वाहन कंपनियों- टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और वॉल्वो आयशर कमर्शियल व्हीकल्स (वीईसीवी)- के वाणिज्यिक वाहनों की एकीकृत बिक्री सालाना आधार पर 25 फीसदी बढ़कर 72,434 वाहन हो गई। ये चारों कंपनियां अपनी मासिक बिक्री का खुलासा करती हैं।
निर्माण, खनन, रियल एस्टेट गतिविधियों में तेजी के अलावा माल भाड़े में सुधार होने से वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री को बल मिला। इसके अलावा पिछले साल के कमजोर आधार से भी डिस्पैच के आंकड़ों को मजबूती मिली। भारत में वाहन कंपनियां डीलरों के लिए डिस्पैच को बिक्री मानती हैं।
कुल मिलाकर वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री को मझोले एवं भारी वाणिज्यिक वाहन (एमऐंडएचसीवी) श्रेणी की दमदार वृद्धि से रफ्तार मिली। उदाहरण के लिए, महीने के दौरान टाटा मोटर्स की बिक्री बढ़कर 33,894 वाहन हो गई जो एक साल पहले की समान अवधि में 31,248 वाहन रही थी। इसे मुख्य तौर पर एमऐंडएचसीवी श्रेणी में सालाना आधार पर 18 फीसदी की वृद्धि से बल मिला।
वॉल्वो आयशर कमर्शियल व्हीकल्स के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी विनोद अग्रवाल ने कहा, ‘हम काफी अच्छी स्थिति में हैं। पिछले तीन वर्षों से वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में गिरावट रही है। हम लगता है कि वह वित्त वर्ष 2020 के स्तर तक पहुंच जाएगी जब बिक्री में सालाना आधार पर 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।’
जनवरी के दौरान प्रमुख क्षेत्रों के आउटपुट में वृद्धि घटकर 3.7 फीसदी रह गई जो उससे पिछले महीने 4.1 फीसदी रही थी। इससे ओमीक्रोन के कारण क्षेत्र विशेष में लगाए गए लॉकडाउन का मामूली प्रभाव का पता चलता है। पिछले दिनों सरकार की ओर से जारी आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में प्रमुख क्षेत्रों का भारांश 40 फीसदी से अधिक है। इसका मतलब यह हुआ कि औद्योगिक क्षेत्र पर कोविड की तीसरी लहर का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा। तीसरी लहर पिछली दो लहरों के मुकाबले हल्की थी।
भू-राजनीतिक तनाव के प्रभाव और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में संभावित वृद्धि के बारे में अग्रवाल ने कहा कि यदि आर्थिक सुधार की रफ्तार बरकरार रही, ट्रांसपोर्टर र्ईंधन कीमत की बढ़ी हुई लागत को ग्राहकों के कंधों पर डालने में सफल हुए और भाड़े में बढ़ोतरी हुई तो वाणिज्यिक वाहन बाजार की मौजूदा रफ्तार बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए।’

First Published - March 3, 2022 | 11:53 PM IST

संबंधित पोस्ट