मंदी की वजह से बिक्री घटने से वाहन विक्रेता भी परेशान हैं। विक्रेताओं ने कार निर्माताओं से कहा है कि उनके पास पर्याप्त स्टॉक है, ऐसे में नया माल भेजने की जरूरत नहीं है।
यही नहीं, मुंबई के दो कार विक्रेताओं ने तो अपनी दुकान तक बंद कर दी है। इसमें से एक प्रभादेवी इलाके में स्थित है, जबकि दूसरी अंधेरी में स्थित है।
बिक्री के घटते आंकड़े की वजह से पिछले तीन माह से देशभर में शायद ही किसी ने डीलरशिप ली हो, जबकि कुछ समय पहले तक प्रतिमाह तकरीबन 25 नए आउटलेट खुल रहे थे।
यही नहीं, कार कंपनियों के पास डीलरशिप लेने के लिए लोगों की लाइन लगी रहती थी। लेकिन अब हालत यह है कि कार कंपनियों को डीलरशिप के लिए विज्ञापन देना पड़ रहा है।
मारुति उद्योग के पूर्व प्रबंध निदेशक जगदीश खट्टर का कहना है कि मंदी की वजह से देशभर के करीब 250 कार विक्रेता बंदी की कगार पर पहुंच चुके हैं।
उन्होंने बताया कि कई डीलर घाटा कम करने के लिए साझेदार तलाश रहे हैं, वहीं कुछ डीलरशिप बेचने की भी तैयारी में हैं। दरअसल, देश में करीब 75 फीसदी कारों की बिक्री लोन पर होती है, लेकिन ऊंची ब्याज दरों के कारण भी कारों की बिक्री पर असर पड़ा है।
हालांकि टाटा मोटर्स के डीलर सान्या ऑटोमोबाइल्स ने बताया कि नैनो के आने से मंदी के बादल फिर छंटेगे और खरीदारों में कार की मांग बढ़ेगी।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस के सचिव गुलशन आहूजा ने बताया कि प्रमुख कार विक्रेता माह में 400 गाड़ियां तक बेच लेते थे, लेकिन अब वे मुश्किल से 250-300 कारें ही बेच पाते हैं। ऐसे में गाड़ियां स्टॉक में बची रह जाती हैं, जिससे कंपनी की ओर से मिलने वाला कमीशन भी कम हो जाता है।
बढने लगी दुकान
बिक्री घटने से कार विक्रेता परेशान
कंपनियों को नया स्टॉक भेजने से किया मना