लोक सभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने स्पष्ट कहा कि कानून का रूप लेने के बाद इसे पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया जाएगा। लोक सभा में 8 घंटे तक चली चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह वक्फ पर प्रस्तावित कानून नहीं मानने की धमकी दे रहा है, लेकिन यह संसद द्वारा पारित कानून होगा और इसे सभी को स्वीकार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के लिए यह डर फैलाया जा रहा है कि वक्फ विधेयक मुसलमानों के धार्मिक मामलों और उनके द्वारा दान की गई संपत्तियों में दखल है जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार में शामिल दो महत्त्वपूर्ण दलों तेदेपा और जदयू ने विधेयक को पूर्ण समर्थन का ऐलान करते हुए सरकार को कुछ सुझाव दिए।
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने वोट बैंक की राजनीति के लिए यह डर फैलाया जा रहा है कि वक्फ विधेयक मुसलमानों के धार्मिक मामलों और उनके द्वारा दान की गई संपत्तियों में दखल है। शाह ने स्पष्ट किया कि इसके कानून का रूप लेने के बाद इसे पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘विपक्षी दल के एक सदस्य ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय इसे स्वीकार नहीं करेगा। यह क्या धमकी है। यह संसद का कानून है, सबको स्वीकार करना पड़ेगा। यह भारत सरकार का कानून है, हरेक (नागरिक) के लिए बाध्यकारी है। इसे स्वीकार करना पड़ेगा।’ शाह ने दावा किया कि विधेयक के कानून का रूप लेने के चार साल के अंदर मुस्लिम भाइयों को पता चल जाएगा कि यह कानून उनके फायदे में हैं।
राजग की सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने सरकार से वक्फ बोर्ड की संरचना तय करने में राज्यों को लचीलापन प्रदान करने पर विचार करने का आग्रह किया। चर्चा में भाग लेते हुए तेदेपा सांसद कृष्ण प्रसाद टेन्नेटी ने कहा कि यह कदम समावेशी विकास और समुदायों के कल्याण के लिए तेदेपा की प्रतिबद्धता सुनिश्चित करेगा। जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के सांसद एवं पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को उनकी पार्टी के पूर्ण समर्थन की घोषणा करते हुए लोक सभा में कहा कि विपक्षी दल इस विधेयक को लेकर अलग तरह का विमर्श गढ़ने की और देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘यह विधेयक कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति का अंतिम संस्कार करने वाला है।’ भाजपा के सांसद रविशंकर प्रसाद ने वक्फ को धार्मिक संस्था के बजाय ‘वैधानिक संस्था’ करार देते हुए लोक सभा में कहा, ‘वक्फ की जमीन यदि बरबाद हो रही, लूटी जा रही, हड़पी जा रही, तो संविधान का अनुचछेद 25 इस पर कानून बनाने का अधिकार देता है। वक्फ कोई धार्मिक संस्था नहीं है, बल्कि यह सिर्फ वैधानिक संस्था है।’
इससे पहले वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि इसके माध्यम से सरकार और वक्फ बोर्ड मस्जिद समेत किसी धार्मिक संस्था के किसी धार्मिक कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि सरकार मस्जिद, दरगाह और मुसलमानों की संपत्तियों को छीन लेगी जो पूरी तरह गुमराह करने वाली बात है। रीजीजू ने भी साफ किया कि यह विधेयक पूर्वगामी प्रभाव से लागू नहीं होगा।
इस मुद्दे पर आठ घंटे तक चली चर्चा के दौरान लोक सभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच नोकझोंक देखी गई। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि एक विशेष समुदाय की जमीन पर सरकार की नजर है। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा वक्फ कानून में संशोधन होने पर देश में मुकदमेबाजी बढ़ेगी। उन्होंने सदन में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि वह यह नहीं कर रहे हैं कि संशोधन की जरूरत नहीं है, बल्कि संशोधन होना चाहिए और ‘हम इसके विरोध में नहीं हैं।’
गोगोई ने कहा, ‘इस कानून को और मजबूत होना चाहिए, लेकिन इस विधेयक से देश में और समस्या बढ़ेगी, मसले बढ़ेंगे और मुकदमेबाजी भी बढ़ेगी।’ कांग्रेस सांसद ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘इनकी मंशा कुछ और है।’ वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि अपनी नाकामी पर परदा डालने के लिए सरकार वक्फ (संशोधन) विधेयक लाई और यह सत्तारूढ़ भाजपा का ‘सियासी हठ’ है। यह ‘उसकी सांप्रदायिक राजनीति का एक नया रूप’ है। विधेयक पर राज्य सभा में गुरुवार को चर्चा होगी। बजट सत्र का समापन शुक्रवार को होगा।