प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने के कुछ ही दिनों बाद इस सप्ताह के अंत में इटली का दौरा करेंगे। इस नए कार्यकाल में अपनी पहली विदेश यात्रा पर, मोदी अन्य वैश्विक नेताओं के साथ जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन 13-15 जून को इटली के अपुलिया क्षेत्र में बोर्गो एग्नाज़िया (फ़सानो) में आयोजित किया जाएगा। मोदी 14 जून को एक दिन के लिए वहां रहेंगे।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में अतिथि लिस्ट को छोटा रखने का एक कारण इटली में होने वाला जी7 शिखर सम्मेलन था। समारोह में बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, भूटान, नेपाल, मॉरीशस और सेशेल्स के नेता शामिल हुए। अधिकारियों ने कहा कि अतिथि लिस्ट भारत की ‘पड़ोसी पहले नीति’ को दर्शाती है, जो हिंद महासागर क्षेत्र के प्रमुख द्वीप देशों पर केंद्रित है।
मोदी ने 25 अप्रैल को एक पोस्ट में कहा, “आज इटली अपने मुक्ति दिवस का जश्न मना रहा है, इस अवसर पर प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी से बात की और शुभकामनाएं दीं। जून में जी7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करने के लिए उनका धन्यवाद किया। जी7 में जी20 भारत के परिणामों को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।”
“हमारी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।” जी7 शिखर सम्मेलन एक अनौपचारिक अंतरराष्ट्रीय मंच है, जिसमें इटली, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका इसके सदस्य हैं।
यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व करने के लिए यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष भी इसमें शामिल होंगे। इटली ने इस साल 1 जनवरी को जी7 फोरम की अध्यक्षता संभाली।
गौर करने वाली बात है कि जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन के बाद, स्विट्जरलैंड वीकेंड में यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इस शिखर सम्मेलन में 90 देश और संगठन शामिल होंगे, जिनमें से आधे यूरोप से होंगे, जिनका उद्देश्य यूक्रेन में संभावित शांति की दिशा में एक रास्ता खोजना है।
हालांकि, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत के इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना नहीं है।