धनशोधन निरोधक कानून (PMLA) बनने के बाद से प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इसके तहत जितने भी मामले दर्ज किए हैं, उनमें से केवल 3 फीसदी राजनेताओं के खिलाफ हैं। यह जानकारी खुद निदेशालय ने दी है।
आंकड़े लोगों के बीच बैठी इस धारणा के बिल्कुल उलट हैं कि सरकार राजनीतिक हित साधने के लिए ईडी ED और दूसरी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2023 तक ED ने कुल 5,096 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से 176 या 3 फीसदी ही वर्तमान तथा पूर्व सांसदों और विधायकों आदि के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। इसी तरह ED ने तलाशी के 531 तलाशी अभियान चलाए हैं, जो आपराधिक कानून के तहत दर्ज कुल मामलों के 9 फीसदी हैं।
तलाशी के कुल 4,954 वारंट जारी किए गए हैं क्योंकि हर मामले में कई बार तलाशी की जरूरत होती है।
ईडी PMLA (Prevention of Money Laundering) और विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन कानून (FEMA) के तहत कार्रवाई करता है।
निदेशालय के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी तक कुल 1,919 मामलों में जब्ती आदेश जारी किए गए हैं और 1.15 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की गई हैं। इसके साथ ही इसने 1,142 मामलों में मुकदमे चलाए गए हैं तथा 513 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। धनशोधन निरोधक कानून के तहत अभी तक 45 अभियुक्तों को दोषी ठहराया जा चुका है।
PMLA फौजदारी कानून है, जिसमें अधिकारियों के पास काले धन को सफेद बनाने के काम में शामिल लोगों से पूछताछ करने, उन्हें गिरफ्तार करने तथा उन पर मुकदमा चलाने के साथ ही आपराधिक कृत्यों से प्राप्त संपत्ति का पता लगाने, उन्हें कुर्क तथा जब्त करने का अधिकार है। फेमा विदेशी मुद्रा से जुड़े नियमों के उल्लंघन से संबंधित कानून है।
विपक्ष तथा राजनीतिक दल सरकार और ईडी पर आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन सरकार और ED यह कहकर इनकार करते हैं कि एजेंसी की कार्रवाई राजनीति से परे है तथा राज्य पुलिस एवं अन्य एजेंसियों द्वारा प्राथमिकी के तहत ही कार्रवाई की जाती है।
हाल ही में विपक्षी दलों और तीन मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर शराब घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की निंदा की थी।