उच्चतम न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित 25 फरवरी को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ संबंधी संसदीय समिति के सामने उपस्थित होकर अपने विचार साझा करेंगे। समिति विशेषज्ञों और विभिन्न हितधारकों से परामर्श की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी, लोकपाल के न्यायिक सदस्य, वरिष्ठ अधिवक्ता और 2015 में एक संसदीय समिति का नेतृत्व करने वाले पूर्व कांग्रेस सांसद ईएम सुदर्शन नचियप्पन, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति के सचिव आईएएस अधिकारी नितेन चंद्रा के भी समिति के साथ अपने विचार साझा करने की संभावना है।
आगामी 25 फरवरी की बैठक के लिए संसदीय समिति के एजेंडे को संक्षेप में ‘‘कानूनी विशेषज्ञों के साथ बातचीत’’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। ‘‘एक राष्ट्र एक चुनाव’’ पर मोदी सरकार द्वारा पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था और इसने अपनी विशाल रिपोर्ट में इस अवधारणा की जोरदार पैरवी की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। सरकार ने लोकसभा में दो विधेयक पेश किए, जिनमें संविधान में संशोधन का प्रावधान शामिल है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भाजपा सांसद और पूर्व कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी की अध्यक्षता में संसद की 39 सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया था। इस संसदीय समिति की अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें उसने अपने एजेंडे का विस्तृत विवरण, हितधारकों और विशेषज्ञों की सूची तैयार की है।
केंद्र सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए इसी वर्ष आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे हैं। इसमें गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह सदस्य हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक राष्ट्र, एक चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) की जोरदार वकालत की और इसे केवल विचार-विमर्श का मुद्दा नहीं बल्कि देश की जरूरत बताते हुए कहा कि इस बारे में गंभीरता से सोचा जाना चाहिए। मोदी गुजरात के केवडिया में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा था, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है बल्कि ये भारत की जरूरत है। हर कुछ महीने में भारत में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे होते हैं। इससे विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में वन नेशन, वन इलेक्शन पर गहन मंथन आवश्यक है। इसमें पीठासीन अधिकारी काफी मार्गदर्शन कर सकते हैं और अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।’ प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर लोकसभा, विधानसभा या पंचायत चुनावों के लिए केवल एक मतदाता सूची का उपयोग किए जाने की वकालत की। उन्होंने कहा, ‘इसके लिए रास्ता बनाना होगा। हम इन सब पर समय और पैसा क्यों बर्बाद कर रहे हैं?’
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की संभावना तलाशने वाली समिति के प्रमुख व पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश में सभी चुनाव एक साथ कराने के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि इसमें राष्ट्रीय हित है और इसका सबसे बड़ा फायदा आम जनता को होगा। एक देश-एक चुनाव’ का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, ”इसमें कोई भेदभाव नहीं है। इसमें सबसे बड़ा फायदा आम जनता को होने वाला है क्योंकि जितना राजस्व बचेगा, वह विकास कार्यों में लगाया जा सकता है।”
कोविंद ने कहा, ”इस पर बहुत सारी समितियों की रिपोर्ट आयी हैं। संसदीय समिति की रिपोर्ट आयी है, नीति आयोग की रिपोर्ट आयी है। भारत के निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट आयी है और कई समितियों की रिपोर्ट आयी है जिनमें उन्होंने कहा है कि देश में ‘एक देश-एक चुनाव’ की व्यवस्था लागू होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, ”भारत सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति नियुक्त की है। मुझे उसका प्रमुख बनाया गया है। उसमें और भी सदस्य हैं। हम सब लोग जनता से मिलकर और मीडिया के माध्यम से कुछ (निष्कर्ष) निकालने की कोशिश कर रहे हैं।” कोविंद ने कहा कि समिति सरकार को सुझाव देगी कि किसी समय देश में लागू रही इस परंपरा को किस तरह पुन: प्रभाव में लाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जितने भी पंजीकृत दल हैं उन सबसे संपर्क करके उनके सुझाव मांगे हैं और कभी न कभी हर राष्ट्रीय राजनीतिक दल ने इस पर समर्थन भी किया है।” उन्होंने कहा, ”कुछ दल (असहमत) हो सकते हैं, लेकिन हम सबसे अनुरोध कर रहे हैं कि आप अपना सकारात्मक सहयोग दीजिए। इससे देश का हित है, इसमें राष्ट्रीय हित का मुद्दा है, इसमें किसी भी राजनीतिक दल का लेना-देना नहीं है।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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