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न्यूयॉर्क में ब्रिक्स देशों ने व्यापार पर टैरिफ पाबंदियों को बताया गलत, संयुक्त बयान में आतंकवाद की भी निंदा

ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हैं

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- September 27, 2025 | 7:55 PM IST

ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में व्यापार पर लगने वाली सख्त पाबंदियों पर गहरी चिंता जताई गई। ये देश मानते हैं कि ऊंचे टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं दुनिया के व्यापार को बिगाड़ सकती हैं। इससे विकासशील देशों को नुकसान पहुंच सकता है। बैठक न्यूयॉर्क में हुई, जहां संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र चल रहा था। यह बैठक शुक्रवार को संपन्न हुई। भारत ने इसकी अध्यक्षता की, क्योंकि अगले साल भारत ब्रिक्स का चेयर बनेगा।

ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हैं। इन मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि बिना सोचे-समझे टैरिफ बढ़ाना और प्रोटेक्शनिज्म की नीतियां गलत हैं। ये कदम जबरदस्ती के तौर पर इस्तेमाल हो रहे हैं। इससे वैश्विक व्यापार कम हो सकता है। सप्लाई चेन टूट सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता फैल सकती है।

WTO नियमों का उल्लंघन

मंत्रियों ने चेतावनी दी कि ऐसी एकतरफा कार्रवाइयां विश्व व्यापार संगठन यानी WTO के नियमों के खिलाफ हैं। ये वैश्विक व्यापार को बांट सकती हैं। ग्लोबल साउथ के देशों को किनारे कर सकती हैं। वे चाहते हैं कि ऐसी प्रथाओं से बचा जाए। बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मेजबानी की। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स को बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की रक्षा करनी चाहिए। आजकल प्रोटेक्शनिज्म बढ़ रहा है। टैरिफ में उतार-चढ़ाव हो रहा है। गैर-टैरिफ बाधाएं व्यापार को प्रभावित कर रही हैं।

जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि अशांत दुनिया में ब्रिक्स को शांति निर्माण, बातचीत, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय कानून का संदेश मजबूत करना चाहिए। ब्लॉक को संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की आवाज बुलंद करनी चाहिए। खासकर सुरक्षा परिषद में बदलाव जरूरी हैं। 2026 में भारत की अध्यक्षता के दौरान तकनीक, नवाचार, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर फोकस रहेगा।

भारत की अध्यक्षता को समर्थन

सभी मंत्रियों ने भारत की आगामी अध्यक्षता को पूरा समर्थन दिया। 2026 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन भारत में होगा। उस साल भारत में ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की अलग बैठक भी होगी। बैठक का माहौल हाल की घटनाओं से प्रभावित था। अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए हैं। इसमें 25 प्रतिशत रूसी तेल खरीदने पर सजा के रूप में शामिल है। इससे भारत एशिया में सबसे ज्यादा टैरिफ झेलने वाला देश बन गया। दुनिया में सिर्फ ब्राजील ही ऐसा दूसरा देश है जो 50 प्रतिशत टैरिफ का सामना कर रहा है।

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आतंकवाद की कड़ी निंदा

संयुक्त बयान में आतंकवाद पर भी बात हुई। मंत्रियों ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। वे आतंकवाद के हर रूप से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें सीमा पार आतंकवादियों की आवाजाही, फंडिंग और सुरक्षित ठिकानों को रोकना शामिल है। बयान में कहा गया कि आतंकवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। आतंकवाद में शामिल सभी लोगों और उनके समर्थकों को जवाबदेह ठहराया जाए। आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी चाहिए। इसमें कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए।

IBSA बैठक में भी उठी आवाज

उसी समय IBSA समूह की बैठक भी हुई। IBSA में भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इन देशों ने एकतरफा टैरिफों को भेदभावपूर्ण बताया। ये WTO के नियमों से मेल नहीं खाते। बैठक में जयशंकर, ब्राजील के विदेश मंत्री माउरो विएरा और दक्षिण अफ्रीका की मंत्री सिंडिसिवे चिकुंगा मौजूद थे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही, नियम-आधारित, पारदर्शी, गैर-भेदभावपूर्ण, निष्पक्ष और समावेशी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का समर्थन किया।

ये बैठकें दिखाती हैं कि विकासशील देश व्यापार और सुरक्षा के मुद्दों पर एकजुट हो रहे हैं। ब्रिक्स और IBSA जैसे मंच इन मुद्दों को उठाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

First Published : September 27, 2025 | 7:55 PM IST