facebookmetapixel
फाइजर-सिप्ला में हुई बड़ी साझेदारी, भारत में प्रमुख दवाओं की पहुंच और बिक्री बढ़ाने की तैयारीगर्मी से पहले AC कंपनियों की बड़ी तैयारी: एनर्जी सेविंग मॉडल होंगे लॉन्च, नए प्रोडक्ट की होगी एंट्रीमनरेगा की जगह नए ‘वीबी-जी राम जी’ पर विवाद, क्या कमजोर होगी ग्रामीण मजदूरों की ताकत?1 फरवरी को ही आएगा 80वां बजट? रविवार और रविदास जयंती को लेकर सरकार असमंजस मेंसिनेमाघरों में लौटी रौनक: बॉक्स ऑफिस पर 11 महीनों में कमाई 18% बढ़कर ₹11,657 करोड़ हुईघने कोहरे की मार: इंडिगो-एयर इंडिया की कई फ्लाइट्स रद्द, यात्रियों को हुई परेशानीश्रीराम फाइनैंस में जापान का अब तक का सबसे बड़ा FDI, MUFG बैंक लगाएगा 4.4 अरब डॉलरRBI की जोरदार डॉलर बिकवाली से रुपये में बड़ी तेजी, एक ही दिन में 1.1% मजबूत हुआ भारतीय मुद्राअदाणी एयरपोर्ट्स का बड़ा दांव: हवाई अड्डों के विस्तार के लिए 5 साल में लगाएगी ₹1 लाख करोड़मोबाइल पर बिना इंटरनेट TV: तेजस नेटवर्क्स की D2M तकनीक को वैश्विक मंच पर ले जाने की तैयारी

‘एक मिशन, एक संदेश, एक भारत’ के तहत 32 देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पर विवाद

एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से लोक सभा सदस्य शशि थरूर को सौंपा जाना उनकी पार्टी को अखर गया है।

Last Updated- May 18, 2025 | 11:18 PM IST
Parliamentary Delegation on diplomacy after Operation sindoor

पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को उजागर करने और ऑपरेशन सिंदूर के तहत अपनी कार्रवाई का सही मकसद दुनिया के सामने रखने के लिए ‘एक मिशन, एक संदेश, एक भारत’ के तहत 32 देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे जाने का फैसला विवादों में घिर गया है। सरकार ने इस उद्देश्य के लिए बड़ी सावधानी से राजनेताओं और पूर्व राजनयिकों का चयन किया है, लेकिन इनमें  एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से लोक सभा सदस्य शशि थरूर को सौंपा जाना उनकी पार्टी को अखर गया है।

केंद्र ने अपने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में 44 सांसदों, छह पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और आठ पूर्व राजनयिकों को चुना है। सात प्रतिनिधिमंडलों की संरचना देश की विविधता को दर्शाती है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, एमजे अकबर, सलमान खुर्शीद और एसएस आहलुवालिया, इनके प्रमुख सदस्य हैं। इनमें से कोई भी इस समय किसी भी सदन का सदस्य नहीं है। कांग्रेस के आनंद शर्मा और भाजपा के वी. मुरलीधरन भी पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं, लेकिन वे भी सांसद नहीं हैं। पूर्व राजनयिकों में सैयद अकबरुद्दीन, तरनजीत सिंह संधू, जावेद अशरफ, मंजीव एस. पुरी, हर्षवर्धन श्रृंगला, पंकज सरन, मोहन कुमार और सुजोन चिनॉय शामिल हैं। थरूर के अलावा, सात प्रतिनिधिमंडलों में कांग्रेस के अन्य चार नेता सलमान खुर्शीद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी और अमर सिंह हैं। इनमें से, केवल शर्मा ही उन चार नामों में से एक रहे, जो लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकार को सुझाए थे। सरकार ने गांधी के अन्य सुझावों, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वाडिंग (राजा बराड़) को नजरअंदाज कर दिया।

कांग्रेस ने सरकार द्वारा पार्टी की सिफारिशों को नजरअंदाज करने को शरारत बताते हुए आपत्ति जताई है। कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा, ‘हमें उम्मीद थी कि सरकार ईमानदार इरादे से नाम मांग रही है। हमें नहीं पता था कि वे शरारती मानसिकता से ऐसा कर रहे थे।’

जब उनसे पूछा गया कि क्या कांग्रेस और उसके कुछ नेताओं के बीच क्या अविश्वास है, तो रमेश ने कहा, ‘कांग्रेस में होने और कांग्रेस का होने में जमीन-आसमान का अंतर है।’ हालांकि, थरूर ने कहा कि उन्हें प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस हो रहा है। कांग्रेस को उस समय और धक्का लगा जब इंडिया गठबंधन के सहयोगियों ने भी निमंत्रण स्वीकार कर लिए। राकांपा (एसपी) की सुप्रिया सुले, डीएमके की कनिमोई और तृणमूल कांग्रेस की ओर से सांसद यूसुफ पठान का नाम है।  हाल के दिनों में थरूर के बयानों से पार्टी असहज होती रही है। लेकिन केरल विधान सभा चुनाव अगले साल मई में होंगे। ऐसे में पार्टी को अपने स्टार सांसद से निपटने में सावधान बरतनी होगी।

First Published - May 18, 2025 | 11:18 PM IST

संबंधित पोस्ट