केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पूरी करने के बाद पश्चिम बंगाल, राजस्थान, गोवा, पुदुच्चेरी और लक्षद्वीप की मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित कर दी। इसके अनुसार पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 58 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं।
आयोग के आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में 58 लाख यानी 7.59 प्रतिशत मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। इसी प्रकार राजस्थान में 41.8 लाख (7.65%), लक्षद्वीप में 1,429 (2.47%), गोवा में 1,00,042 (8.44%) और पुदुच्चेरी में 1,03,467 (10.12%) मतदाताओं के नाम मृत्यु, प्रवासन और गणना फॉर्म जमा न करने जैसे अलग-अलग कारणों पर हटा दिए गए हैं।
आयोग ने कहा कि एक महीने की सुनवाई प्रक्रिया या दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का चरण 16 दिसंबर से शुरू होगा, जिसमें वास्तविक मतदाताओं को अपने नाम मतदाता सूची में जोड़ने का अवसर दिया जाएगा। अंतिम सूची 14 फरवरी को प्रकाशित की जाएगी। जिन लोगों के नाम दो स्थानों पर दर्ज हैं, उन्हें किसी एक स्थान पर मतदाता के रूप में रखा जाएगा। पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक नाम कोलकाता दक्षिण (23.82 प्रतिशत) और कोलकाता उत्तर (25.92 प्रतिशत) से हटाए गए हैं।
कोलकाता उत्तर जिले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भवानीपुर सीट जो गुजरात सहित बड़ी संख्या में प्रवासियों का मूल घर है, से मतदाताओं के नाम सबसे अधिक हटाए गए हैं। भवानीपुर में जनवरी 2025 में सूचीबद्ध 206,295 मतदाताओं में से 44,787 नाम हटे हैं। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के नंदीग्राम में 278,212 मतदाताओं में से 10,599 मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मसौदा सूची ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुवेंदु अधिकारी के इस दावे को खोखला साबित कर दिया है कि राज्य में ‘1 करोड़ रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं। यहां फर्जी के रूप में पहचाने गए मतदाताओं की संख्या 183,328 है।
तृणमूल के प्रवक्ता कृषाणु मित्रा ने कहा, ‘मसौदा सूची में लगभग 58 लाख मतदाताओं को हटा दिया गया है। सीमा सुरक्षा बल के आंकड़ों के अनुसार लगभग 4,000 लोग हकीमपुर सीमा के माध्यम से बांग्लादेश चले गए हैं। पता चल रहा है कि लगभग 80 प्रतिशत मुस्लिम-बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में औसत विलोपन दर 0.6 प्रतिशत है, जबकि मतुआ-बहुल क्षेत्रों में यह लगभग 9 प्रतिशत है।’
पश्चिम बंगाल के विशेष मतदाता पर्यवेक्षक सुब्रत गुप्ता ने कहा कि जिन मतदाताओं के नाम मसौदा सूची में नहीं हैं, उन्हें घबराना नहीं चाहिए। ऐसे लगभग 30 लाख मतदाता जिनके नाम 2002 की चुनावी सूची से मेल नहीं खा रहे, उन्हें अपनी पात्रता साबित करने को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा।
मतदाता मसौदा सूची से कथित तौर पर नाम हटाए जाने का विरोध करते हुए बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के एक समूह के लगभग 200 सदस्यों ने कोलकाता में पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने एसआईआर के तहत मसौदा चुनावी सूची से हजारों वास्तविक मतदाताओं के कथित रूप से नाम हटाने का विरोध किया। तृणमूल कांग्रेस के डंकुनी इलाके के पार्षद सूर्या डे ने खूब हंगामा किया, क्योंकि मसौदा सूची में उनका नाम मृत कॉलम में दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि वह तो मर गए हैं, इसलिए उनका अंतिम संस्कार किया जाए।