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फरीदाबाद के औद्योगिक जहां में अब वो बात कहां

Last Updated- December 10, 2022 | 12:15 AM IST

पिछले कुछ साल में नई औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने के लिए फरीदाबाद के लघु उद्योग कारोबारियों के पास जमीन की इतनी किल्लत पड़ गई है ।
कि इसके लिए या तो उन्हें अवैध जमीन पर अपनी इकाई लगानी पड़ रही है या फिर दूसरे शहरों अथवा पड़ोसी राज्यों की खाक छाननी पड़ रही है। यही कारण है कि फरीदाबाद की लगभग 15 हजार लघु उद्योग इकाइयों में से केवल 4 हजार ही सरकार द्वारा आवंटित की गई जमीन पर स्थापित की गई हैं। जबकि बाकी की 11 हजार इकाइयों का संचालन औद्योगिक रुप से अनधिकृत क्षेत्रों में किया जा रहा है।
शहर में औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने के लिए जमीन न होने के कारण ही पिछले दस साल में ऑटो पाट्र्स, दवा और बिजली के उपकरण बनाने वाली लगभग 3 हजार इकाइयों ने दूसरे राज्यों की ओर रुख किया है।
फरीदाबाद फेडरेशन ऑफ स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव चावला का कहना है कि शहर में जमीन न होने के कारण यहां की लघु उद्योग इकाइयों को अपना कारोबार बढ़ाने में दिक्कत आ रही थी।
इस कारण शहर की ज्यादातर इकाइयां करों में छूट के चलते नोएडा और गुड़गांव की ओर या हिमाचल प्रदेश के बद्दी और उत्तराखंड के पंतनगर की ओर गई हैं। इन लघु उद्योग इकाइयों के प्रसार के चलते ही उत्तराखंड में लगभग 2 हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।
विजय ऑटो पाट्र्स ऐंड कंपोनेंट के मालिक राजीव त्यागी बताते है कि नोएडा और गुड़गांव में मारुति, सुजुकी, होंडा जैसी ऑटो कंपनियों के बाद फरीदाबाद से ऑटो पाट्र्स मांग में 30 से 35 फीसदी की सीधी बढ़ोतरी हुई।
लेकिन इस बढ़ोतरी को खपाने में यहां स्थापित इकाइयो को उत्पादन बढ़ाने की जरुरत थी। लेकिन जगह न होने से लघु उद्योग इकाइयां नोएडा और गुड़गांव चली गईं।  इस बारे में चावला का कहना है कि 1996 के बाद गुडग़ांव और नोएडा के औद्योगीकरण के लिए राज्य सरकारों द्वारा कर में छूट देने की नीति ने इन इकाइयों को आने के लिए और प्रोत्साहित किया।
1956 से 61 के बीच फरीदाबाद में औद्योगीकरण का काम शरणार्थियों को जमीन देकर शुरु किया गया था। इसके लिए यहां पर एस्कॉर्ट, भारत सरकार की प्रिटिंग प्रेस  और ईस्ट इंडिया कॉटन मिल भी स्थापित की गई थी।
चावला ने बताया कि पिछले 20 साल में फरीदाबाद ने ऑटो हब के तौर पर अपनी स्थिति को काफी मजबूत किया और इस दौरान फरीदाबाद में लघु उद्योग इकाइयों की संख्या भी 4 हजार से बढ़कर लगभग 15 हजार के आस-पास पहुंच गई है।
शहर की लघु उद्योग इकाइयों में लगभग 5 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। लेकिन शहर में औद्योगिक जमीन की कमी के चलते ही पिछले पच्चीस साल से फरीदाबाद में एक भी बड़ी इंडस्ट्री ने निवेश नहीं किया है।
सिंह मोटर पाट्र्स मैन्यूफैक्चरर्स के सतबीर सिंह कहते है कि 1996 में राज्य सरकारों द्वारा नोएडा और गुड़गांव के औद्योगीकरण के लिए कर में छूट देने की नीति और सस्ती दरों पर जमीन उपलब्ध करवाने से फरीदाबाद को जाने वाला निवेश भी इन शहरों की ओर ही मुड़ गया।
ऐसे में फरीदाबाद के औद्योगिक विकास की दर पिछले दस साल में 60 फीसदी से घटकर 30 फीसदी सालाना रह गई है। जबकि रोजगार विकास दर में भी 25 फीसदी तक की गिरावट आ रही है।

First Published - February 6, 2009 | 8:55 PM IST

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