लोकगायिका मैथिली ठाकुर बिहार विधानसभा चुनाव में इतिहास रचने के करीब हैं। सिर्फ 25 साल की उम्र में वे राज्य की अब तक की सबसे युवा विधायक बन सकती हैं। मैथिली और भोजपुरी गायन के लिए पूरे देश में मशहूर मैथिली ने अक्टूबर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जॉइन किया था और पार्टी ने उन्हें अलीनगर से उम्मीदवार बनाया है। दोपहर 1 बजे तक के रुझानों में वे राजद के बिनोद मिश्रा पर 8,000 से ज्यादा वोटों से आगे चल रही हैं, जबकि मिश्रा को 28,346 वोट मिले हैं।
मैथिली ठाकुर का संगीत की दुनिया से राजनीति में कदम रखना भाजपा की उस रणनीति को दर्शाता है, जिसके तहत पार्टी मिथिलांचल के युवा मतदाताओं से जुड़ना चाहती है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा उन्हें बचपन से ही पिता ने दी है। उन्होंने मैथिली, भोजपुरी और हिंदी में लोकगायन की गहरी समझ विकसित की है और अक्सर अपने भाइयों के साथ मंचों पर प्रस्तुति देती हैं। सोशल मीडिया पर उनके लाखों फॉलोअर हैं, जिसकी वजह से उनकी लोकप्रियता का दायरा कई समुदायों तक फैला हुआ है। यही डिजिटल उपस्थिति और लोकप्रियता उन्हें अलीनगर में बढ़त दिलाने में भी मदद कर रही है।
बिहार में अब तक सबसे युवा विधायक तौसीफ आलम रहे हैं, जो 2005 में सिर्फ 26 साल की उम्र में बहादुरगंज से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे। बाद में उन्होंने कांग्रेस का टिकट लेकर यह सीट 2020 तक बरकरार रखी। इस बार वे AIMIM के टिकट पर फिर कोशिश कर रहे हैं। वहीं 2020 में भाजपा की श्रेया सिंह 30 साल की उम्र में जमुई से जीतकर बिहार की सबसे युवा महिला विधायक बनी थीं और इस चुनाव में भी वही सीट से मैदान में हैं।
मैथिली ठाकुर के साथ कई और युवा नेता भी इस बार के विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। इनमें जदयू की रवीना कुशवाहा (27), राजद की शिवानी शुक्ला (28), कांग्रेस के नवीन कुमार (25), दीपू सिंह (28) और रवि रंजन (29) जैसे नाम शामिल हैं।