प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार महिलाओं का जोश देखते ही बनता था। शुक्रवार को आए नतीजों में NDA की भारी जीत के पीछे महिलाओं का वोट एक बड़ा कारण माना जा रहा है। चुनाव आयोग के मुताबिक, महिलाओं ने पुरुषों से काफी आगे निकलकर वोट डाले। पूरे राज्य में महिलाओं की वोटिंग 71.78 फीसदी रही, जबकि पुरुषों की सिर्फ 62.98 फीसदी। कुल वोटिंग रिकॉर्ड 67.13 फीसदी पहुंची, जो बिहार के इतिहास में सबसे ज्यादा है।
चुनाव के दौरान जीत की खबर फैलते ही महिलाएं खुशी से झूम उठीं। कई जगहों पर वो गीत गातीं, नाचतीं और गुलाल खेलती नजर आईं। एक महिला बीजेपी कार्यकर्ता ने गाते हुए कहा, “अरे हां हम बिहारी हैं जी, बहुत संस्कारी हैं जी, हम सब से भारी नारी है जी।” दूसरी महिला ने मुस्कुराते हुए बताया, “हमरा के दिहलक राशन पानी… रोड पुलिया…” यानी जिन्होंने राशन, पानी, सड़क और पुल दिए, उन्हें वोट क्यों न दें?
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चुनाव आयोग के जिला-वार आंकड़ों से साफ है कि महिलाओं का उत्साह हर तरफ था। सात जिलों में महिलाओं ने पुरुषों से 14 फीसदी पॉइंट ज्यादा वोट डाले। दस अन्य जिलों में ये अंतर 10 फीसदी से ऊपर रहा। सुपौल जिला टॉप पर रहा, जहां महिलाओं की वोटिंग 83.69 फीसदी पहुंची, जबकि पुरुष सिर्फ 62.98 फीसदी ही वोट डाल पाए। मतलब अंतर पूरे 20.71 फीसदी का रहा।
NDA के एक नेता ने बताया कि महिलाओं का ये समर्थन खासतौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दो दशक की मेहनत का नतीजा है। नीतीश ने जातियों से ऊपर उठकर महिलाओं का एक मजबूत वोट बैंक बनाया। चुनाव से पहले उनकी सरकार ने जीविका दीदियों को कारोबार शुरू करने के लिए 1.21 करोड़ से ज्यादा महिलाओं के खाते में 10,000 रुपये ट्रांसफर किए। सफल कारोबार वालों को 2 लाख रुपये और देने का वादा किया।
जदयू नेताओं का कहना है कि 2016 में नीतीश की शराबबंदी नीति महिलाओं में बेहद लोकप्रिय हुई। गरीब तबके की महिलाएं, जो शराब से घरेलू हिंसा झेलती थीं, इससे काफी राहत मिली। विपक्षी महागठबंधन ने शराबबंदी की समीक्षा या हटाने के संकेत दिए, जिससे महिलाएं और NDA की तरफ खिंच गईं।
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बिहार की 243 सीटों पर 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में वोटिंग हुई थी। जाति की राजनीति से बंटे राज्य में महिलाएं एक ऐसी ताकत बनकर उभरीं, जो जातियों की दीवारें तोड़ती नजर आईं।