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बिहार की करारी हार से राजद-कांग्रेस के समक्ष अस्तित्व का संकट, मोदी बोले- पार्टी अब टूट की ओर

कांग्रेस 1990 तक बिहार में एक राजनीतिक ताकत थी। उसने 1985 में अविभाजित बिहार की कुल 324 सीटों में से 196 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी

Last Updated- November 14, 2025 | 11:18 PM IST
Rahul Gandhi and Tejashwi Yadav

शुक्रवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उनकी जयंती पर बधाई दी और शाम होते-होते उन्होंने भविष्यवाणी की कि कांग्रेस विभाजन की ओर बढ़ रही है। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 61 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिनमें से उसे 6 पर जीत मिली। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन में लड़े गए इस चुनाव में पार्टी को 8.73 फीसदी मत मिले। सन 1951 के बाद से यह प्रदेश में पार्टी का दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन है। 2010 के प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी ने सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उसे 8.37 फीसदी मतों के साथ केवल चार सीटों पर जीत मिली थी।

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा निकाली थी और चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया था। 6 नवंबर को बिहार में पहले चरण के मतदान के पहले गांधी ने ‘जेन जी’ का आह्वान किया कि देश में लोकतंत्र बहाली के लिए काम किया जाए। बिहार की 60 फीसदी आबादी 29 वर्ष से कम आयु की है। लेकिन जैसा कि मोदी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुख्यालय में विजय भाषण में कहा कि युवाओं ने कांग्रेस के आरोपों को नकार दिया है और मतदाता सूचियों के शुद्धीकरण के लिए मतदान किया है।

2025 बिहार चुनावों में कांग्रेस की जीती हुई सीटों की संख्या केवल इतनी ही रही कि वह असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) जैसी हाशिये की पार्टियों से एक सीट आगे रही। दोनों दलों ने 5-5 सीटें जीतीं। एआईएमआईएम ने एक्स पर पोस्ट किया कि यदि कांग्रेस उम्मीदवारों ने उसके वोट शेयर में सेंध न लगाई होती, तो वह 15 सीटें तक जीत सकती थी।

कांग्रेस 1990 तक बिहार में एक राजनीतिक ताकत थी। उसने 1985 में अविभाजित बिहार की कुल 324 सीटों में से 196 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी, लेकिन 1990 में उसकी सीटें घटकर 71 रह गईं और जनता दल के नेतृत्व में पिछड़े वर्गों का उभार ने उसे सत्ता से बाहर कर दिया। इस उभार में लालू प्रसाद अग्रणी थे।

बिहार विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने खुद को नया रूप देने की कोशिश की। उसने ऊंची जाति के प्रदेश अध्यक्ष को हटाकर एक दलित, राजेश राम को अध्यक्ष बनाया, जो अंततः कुटुंबा सीट से चुनाव हार गए। कांग्रेस की जाति जनगणना की मांग तब कमजोर पड़ गई जब केंद्र ने घोषणा की कि 2026 की जनगणना में जाति का भी लेखा-जोखा होगा। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ‘महागठबंधन’ सरकार ने 2023 में जाति सर्वेक्षण कराया था।

कांग्रेस नेतृत्व राजद के तेजस्वी यादव को गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने को तैयार नहीं था, लेकिन वह दबाव में आकर उस समय इसके लिए तैयार हो गया जब तेजस्वी ने सहयोगियों के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए। कांग्रेस को अप्रैल-मई में देश के अन्य हिस्सों में होने वाले विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करना होगा। असम और केरल चुनाव में उसकी अहम भूमिका रहेगी। तमिलनाडु में वह सत्ताधारी दल की सहयोगी और पश्चिम बंगाल में वह हाशिए पर है।

भाजपा मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ‘मुस्लिमलीगी माओवादी कांग्रेस’ या ‘एमएमसी’ बन गई है और जल्द ही इसमें बड़ा विभाजन देखने को मिलेगा। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्त्व पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी के भीतर कुछ ‘नामदार’ सबको अपने साथ डुबो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास देश के लिए कोई सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं है। उन्होंने कांग्रेस के सहयोगियों को चेतावनी दी कि यह पार्टी उनके लिए एक परजीवी और बोझ है।

लेकिन सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, प्रधानमंत्री ने राजद पर भी निशाना साधा। उन्होंने राजद के अंत की भी भविष्यवाणी की। राजद के मुस्लिम-यादव (‘एम-वाई’) समर्थन आधार का जिक्र करते हुए, मोदी ने कहा कि बिहार में कुछ दलों ने ‘एम-वाई फॉर्मूला’ बनाया था, लेकिन आज की जीत ने एक नया ‘सकारात्मक एम-वाई’ दिया है यानी ‘महिला और युवा’ फ़ॉर्मूला। मोदी ने कहा कि ‘जंगल राज’ और ‘कट्टा राज’ बिहार को अब कभी परेशान नहीं कर पाएगा।

सभी दलों के बीच मजबूती के साथ वोट शेयर हासिल होने के बावजूद, नतीजों ने एक बार फिर राजद की मुस्लिम-यादव जनाधार से आगे जातिगत गठबंधन बनाने की विफलता को रेखांकित किया। इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक राजद केवल 25 सीटें जीत चुकी थी या उन पर आगे चल रही थी, जो 2010 के विधानसभा चुनावों में उसके अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन, 22 सीटों से थोड़ा ही बेहतर था। हालांकि, 2010 के चुनावों के विपरीत (जब उसे 18.84 प्रतिशत वोट शेयर मिला था) राजद ने 2025 के विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक 23 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया।

2020 के विधानसभा चुनावों में, राजद के तेजस्वी यादव राज्य के युवाओं को एकजुट करने में कामयाब रहे थे और उनकी पार्टी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़कर 75 सीटें जीती थीं और 23.11 प्रतिशत वोट हासिल किए। बिहार के 2.76 करोड़ परिवारों में से प्रत्येक को सरकारी नौकरी देने का वादा करके युवाओं को आकर्षित करने के यादव के प्रयासों की राजद के सहयोगियों ने भी ‘गैर-गंभीर’ कहकर आलोचना की थी।

वह अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के उदाहरण से भी सीखने में विफल रही, जिसने 2024 के लोकसभा चुनावों में बमुश्किल आधा दर्जन यादव उम्मीदवार उतारकर अपने जातीय गठबंधन का विस्तार किया। 20 साल सत्ता से बाहर रहने और अगले बड़े चुनाव में चार साल दूर होने के साथ, यह देखना बाकी है कि क्या राजद के वारिस में अपनी पार्टी को पुनर्जीवित करने का दमखम है।

First Published - November 14, 2025 | 11:10 PM IST

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