Bihar Assembly Elections 2025: कभी बिहार की राजनीति में शक्ति का एक प्रमुख केंद्र रही कांग्रेस पिछले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे अपना प्रभाव खोती जा रही है। इस साल पार्टी ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ गठबंधन में एक जूनियर साझेदार के रूप में चुनाव लड़ा। 2025 बिहार चुनाव परिणामों ने राज्य में पार्टी के सबसे खराब प्रदर्शनों में से एक को दर्ज किया।
चुनाव आयोग (ECI) के ताजा आंकड़ो के अनुसार, दोपहर 3 बजे तक कांग्रेस केवल एक सीट पर आगे चल रही थी। सुबह 8 बजे मतगणना शुरू होने के बाद से ही पार्टी की स्थिति सिंगल डिजिट में अटकी रही, और अधिकतम 6 से 8 सीटों के बीच झूलती रही। इस निराशाजनक प्रदर्शन ने एक बार फिर बिहार की राजनीतिक परिदृश्य में पार्टी के भविष्य और प्रासंगिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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कांग्रेस कभी बिहार की प्रमुख राजनीतिक पार्टी हुआ करती थी, खासकर 2000 में राज्य के विभाजन से पहले। वह नियमित रूप से टॉप तीन पार्टियों में शामिल रहती थी। 1985 के चुनावों में कांग्रेस ने 196 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया था, जिसके बाद चंद्रशेखर सिंह मुख्यमंत्री बने। 1990 के चुनावों में कांग्रेस 71 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जिसे व्यापक रूप से उसका आखिरी मजबूत प्रदर्शन माना जाता है। बिहार में पार्टी के महत्वपूर्ण नेतृत्व का अंतिम दौर जगन्नाथ मिश्र के तहत आया, जिन्होंने 1990 में मुख्यमंत्री के रूप में काम किया।
हालांकि, कांग्रेस का प्रभाव तेजी से कम होने लगा। 1995 के चुनावों में पार्टी का आंकड़ा घटकर केवल 29 सीटों पर आ गया, जो लंबे समय तक गिरावट की शुरुआत का संकेत था।
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साल 2000 में बिहार का विभाजन हुआ और झारखंड एक नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। इस विभाजन ने बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया और जनता दल (यूनाइटेड) तथा राजद जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के उभार का मार्ग प्रशस्त किया। 2000 के विधानसभा चुनावों (जो विभाजन से पहले हुए थे) में कांग्रेस चौथे स्थान पर रही और उसे केवल 23 सीटें मिलीं।
2005 में, फरवरी के चुनावों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने (हंग असेंबली) के कारण बिहार में दो बार विधानसभा चुनाव हुए। अक्टूबर–नवंबर में नए चुनाव कराए गए, जहां कांग्रेस केवल 6.1 फीसदी वोट शेयर ही हासिल कर सकी, जो उसके सिकुड़ते जनाधार को दर्शाता है।
बाद के वर्षों में कांग्रेस ने कुछ सुधार जरूर दिखाया—2015 में उसने 27 सीटें जीतीं और उसके बाद के चुनावों में भी लगभग इसी स्तर की मौजूदगी बनाए रखी।
बिहार में कांग्रेस का प्रदर्शन इस प्रकार रहा:
2010 – 4 सीटें, 8.4% वोट शेयर
2015 – 27 सीटें, 6.8% वोट शेयर
2020 – 19 सीटें, 9.6% वोट शेयर
2025 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने राजद के साथ गठबंधन के तहत 60 सीटों पर चुनाव लड़ा। यह 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों की तुलना में काफी कम था, जब उसने 77 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।