भारत में लगभग 90 प्रतिशत लोग फर्जी और एआई से तैयार सेलेब्रिटी विज्ञापनों के संपर्क में आते हैं। आम हो चुके इस तरह के घोटालों में उन्हें औसतन 34,500 रुपये की चपत लग रही है। ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए उपभोक्ताओं को जागरूक करने वाली फर्म मैकफी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
‘सबसे खतरनाक सेलेब्रिटी: डीपफेक से धोखा’ शीर्षक से तैयार सूची में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि साइबर ठग लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए किस प्रकार मशहूर हस्तियों के नाम का इस्तेमाल करते हैं।
साइबर घोटालेबाजों ने इस वर्ष बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के नाम का सबसे अधिक इस्तेमाल किया है। उसके बाद अभिनेत्री आलिया भट्ट और टेस्ला के ईलॉन मस्क को निशाना बनाया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फर्जी विज्ञापनों के प्रचार, मुफ्त की चीजों का लालच, धोखाधड़ी, फर्जी लिंक अथवा गलत चीजें डाउनलोड करने के उद्देश्य से बनी वेबसाइट की तरफ लोगों को आकर्षित करने के लिए एआई संचालित डीपफेक में इन हस्तियों के नाम का सबसे अधिक उपयोग किया गया।
मैकफी में इंजीनियरिंग के वरिष्ठ निदेशक प्रतिम मुखर्जी ने एक बयान में कहा, ‘डीपफेक ने साइबर अपराधियों का पूरा खेल ही बदल दिया है। अब उन्हें किसी सिस्टम को हैक करने की जरूरत नहीं है। वे सीधे लोगों के दिमाग में घुसपैठ कर रहे हैं, वे उनका भरोसे के साथ खेल रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा, ‘आज कौन असली और कौन नकली, इसका पता लगाना अब आसान नहीं रह गया है। भारत में जिस तरह सेलेब्रिटी का प्रभाव देखने को मिलता है, साइबर ठग इसी का फायदा उठाते हैं। तकनीक इतनी आगे बढ़ गई है कि बिना प्रयास किए ही किसी की भी आवाज, चेहरे और तौर-तरीकों की नकल आसानी से की जा सकती है। वह चाहे कितना बड़ा सेलेब्रिटी ही क्यों न हो। अब जो लोग उस सेलेब्रिटी से प्रभावित होते हैं यानी उन्हें पसंद करते हैं, वह यह भी जांच-पड़ताल नहीं कर पाते कि उससे संबंधित सामग्री फर्जी तो नहीं है। जिस देश में लाखों लोग रोज सेलेब्रिटी और इन्फ्लूएंसर्स के प्रभाव में आते हैं, फर्जी विज्ञापन हो या उनसे जुड़ी अन्य चीजें, तेजी से फैलती हैं। ऐसी चीजों से बचने के लिए जागरूकता और सावधानी बरतने के साथ-साथ विश्वनीय सुरक्षा टूल का इस्तेमाल करना होगा।’
फिक्की और ईवाई की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारत में लोगों ने कुल मिलाकर 1.1 लाख करोड़ घंटे अपने स्मार्टफोन में कंटेंट देखने में व्यतीत किए। मैकफी की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें 95 प्रतिशत लोगों ने व्हाट्सऐप, 94 प्रतिशत ने यूट्यूब, जबकि 84 प्रतिशत ने इंस्टाग्राम पर अपना समय बिताया।
मैकफी के अनुसार आज के दौर में ऑनलाइन फर्जीवाड़े से सबसे अधिक खतरा युवाओं को है। इनमें 35 से 44 आयु वर्ग के 62 प्रतिशत और 25 से 34 आयु के 60 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि उन्होंने फर्जी सेलेब्रिटी विज्ञापनों पर क्लिक किया जबकि 18 से 24 साल के 53 प्रतिशत युवा ही ऐसे विज्ञापनों के झांसे में आए और उन्होंने इन्हें क्लिक कर देखा। उम्र बढ़ने के साथ लोगों में समझदारी का भाव दिखा और 45 से 54 साल की उम्र के 46 प्रतिशत तथा 65 साल से अधिक उम्र के केवल 17 प्रतिशत लोगों ने ही ऑनलाइन फर्जी सामग्री पर भरोसा करते हुए उन पर क्लिक किया या उनके झांसे में आए।
ऐसा तब हो रहा है जब कई एक्टर सोशल मीडिया मंचों समेत डीपफेक और एआई से तैयार सामग्री में बिना अनुमति अपने नाम और पहचान-प्रसिद्धि का इस्तेमाल होने से रोकने के लिए अदालत की शरण में जा चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ महीनों के दौरान अक्षय कुमार, ऐश्वर्य राय बच्चन, अभिषेक बच्चन, अमिताभ बच्चन, हृतिक रोशन, करण जौहर और आशा भोसले ने फर्जी तरीके या बिना अनुमति अपने नाम का इस्तेमाल होने से रोकने के लिए अदालत की मदद ली है।