उत्तर प्रदेश में तमाम सरकारी कवायदें भी धान को बेभाव बिकने से रोक नहीं पा रही हैं। प्रदेश के धान उत्पादक जिलों में किसानों का धान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 50 फीसदी कम कीमत पर खरीदा जा रहा है। सरकारी खरीद केंद्रों को लेकर किसानों की नाराजगी जारी है। खरीद केंद्रों पर पंजीकरण, लंबी लाइन और तमाम दिक्कतों के चलते किसानों का धान आढ़ती और चावल मिलें कम कीमत पर खरीद रही हैं। जहां सरकारी खरीद केंद्रों पर धान का मूल्य 1,868 रुपये है, वहीं खुले बाजार में इसकी कीमत 900-1,200 रुपये प्रति क्विंटल ही मिल पा रही है। खरीद केंद्रों का रुख करने वाले किसानों का कहना है कि कहीं बोरों तो कहीं सर्वर में खराबी के चलते धान की खरीद नहीं हो पा रही है।
इस बार कोविड संक्रमण के चलते सरकारी खरीद केंद्रों पर धान बेंचने के लिए किसानों को पहले ऑनलाइन पंजीकरण कराना पड़ता है। विपक्ष का आरोप है कि छोटी जोत के किसानों के लिए यह खासा मुश्किल काम है। ऑनलाइन पंजीकरण के लिए एजेंटों के पास आते ही बिचौलिए सक्रिय हो जाते हैं और धान एमएसपी से कम कीमत पर बिक जाता है। उत्तर प्रदेश में धान का कटोरा कहे जाने वाले बाराबंकी जिले में किसानों का धान खुले बाजार में 1,200 रुपये में खरीदा जा रहा है तो श्रावस्ती जिले में किसानों को धान की कीमत 900 रुपये प्रति क्विंटल ही मिल पा रही है। तराई के लखीमपुर, बरेली, पीलीभीत में कई जगहों पर धान की सरकारी खरीद में गड़बड़ी को लेकर किसानों ने हंगामा भी किया है।
किसान नेता ललित सिंह बताते हैं कि बीते साल हरियाणा के आढ़तियों ने उत्तर प्रदेश में आकर एमएसपी से ज्यादा कीमत दी थी, पर इस बार वे नजर नहीं आ रहे हैं। उनका कहना है कि खरीद केंद्रों पर बेंचने में दुश्वारियां हैं, तो खुले बाजार में कीमत नहीं मिल रही है। सिंह का कहना है कि रद्दी कागज से भी कम कीमत पर किसानों का धान बिक रहा है। इस बार सरकारी खरीद केंद्र खुलने से काफी पहले बिचौलियों का तंत्र सक्रिय हो गया था और अब तक काफी तादाद में निजी क्षेत्र में धान की खरीद हो चुकी है।
उधर धान खरीद में हो रही अनियमितता व किसानों की शिकायतों पर पर नजर रखने के लिए राज्य सरकार ने नोडल अधिकारियों की तैनाती कर दी है। ये नोडल अफसर हर हफ्ते आवंटित जिलों में धान क्रय केंद्रों का निरीक्षण करेंगे और अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे। इस संबंध में प्रमुख सचिव खाद्य वीना कुमारी ने आदेश जारी कर दिया है।
सरकारी प्रवक्ता का कहना है कि प्रदेश में धान की खरीद रिकॉर्ड बना रही है। इस बार एमएसपी में उचित कीमत मिलने के कारण किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर ही अपना धान बेच रहे हैं और हरियाणा की मंडियों में जाने से किसान बच रहे हैं। पश्चिम के कई जिलों में इस कारण 25 दिन में ही लक्ष्य के दोगुने से अधिक की सरकारी धान खरीद हो चुकी है।
उत्तर प्रदेश में धान किसानों को सरकारी खरीद केंद्रों पर माल बेंचने पर हो रही परेशानी और औने-पौने दाम में आढ़तियों की खरीद पर योगी सरकार ने कई अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की है। अब तक बरेली मंडल के पांच केद्र प्रभारियों को निलंबित किया जा चुका है। इसी तरह चार केंद्र प्रभारियों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि, 21 के खिलाफ चेतावनी और 178 के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। प्रदेश सरकार ने अब तक 208 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है।
गौरतलब है कि इस साल प्रदेश सरकार ने धान की सरकारी खरीद का लक्ष्य पिछले साल के 50 लाख टन से बढ़ाकर 55 लाख टन करते हुए 1,868 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
