अमेरिका के सख्त रुख और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई चेतावनी के बावजूद भारतीय रिफाइनरियों में रूसी कच्चा तेल पहुंचना जारी है। सप्ताहांत पर कम-से-कम चार टैंकरों ने भारतीय तटों पर लाखों बैरल रूसी कच्चा तेल उतारा, जिससे साफ है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद रूस से आपूर्ति सामान्य रूप से चल रही है।
जहां एक ओर अमेरिका रूस से व्यापार को रोकने के लिए भारत पर दबाव बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर भारतीय रिफाइनरियों—निजी और सरकारी दोनों—को अब तक सरकार की ओर से खरीद बंद करने के कोई निर्देश नहीं मिले हैं।
जानकारी के मुताबिक, तीन अफ्रामैक्स टैंकर—अकीलिस, एलेट और होरे—ने नायरा एनर्जी और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ जैसी निजी कंपनियों को करीब 2.2 मिलियन बैरल ‘यूरल्स’ ग्रेड कच्चा तेल पहुँचाया। एक अन्य टैंकर ‘मिकाती’ ने लगभग 7.2 लाख बैरल ‘वरांदेय’ कच्चा तेल कोच्चि (बीपीसीएल) और मंगलूर (एमआरपीएल) के सरकारी रिफाइनरियों में उतारा।
आने वाले कुछ घंटों में दो टैंकर—मिनियन और डेस्टन—और 2.2 मिलियन बैरल ‘यूरल्स’ लेकर रिलायंस के सिका टर्मिनल पर पहुँचेंगे। वहीं, ‘अल्देबर्न’ टैंकर मुंद्रा बंदरगाह (आईओसी और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी का सेवा स्थल) पर तेल उतारेगी।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो रूस के ‘यूरल्स’ कच्चे तेल की सबसे बड़ी खरीदार है, का रूसी तेल उत्पादक रोसनैफ्ट के साथ दीर्घकालिक अनुबंध है। भारत, रूस का सबसे बड़ा समुद्री कच्चा तेल खरीदार बना हुआ है, जिससे पश्चिमी देशों में नाराजगी है। हाल ही में नायरा एनर्जी पर यूरोपीय संघ ने रूस से संबंधों को लेकर प्रतिबंध लगाए, जिससे कंपनी को अपनी उत्पादन क्षमता घटानी पड़ी।
सरकारी या निजी कंपनियों ने हाल फिलहाल में इन टिप्पणियों पर कोई उत्तर नहीं दिया है, लेकिन फिलहाल भारतीय रिफाइनरियां रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने में बनी हुई हैं। अमेरिकी सरकार के सख्त संदेशों और हाल ही में भारतीय उत्पादों पर 25% नए टैरिफ लगाए जाने के बावजूद, रूस से तेल जारी रखना द्विपक्षीय रिश्तों में नया मोड़ ला सकता है।