दिल्ली के मॉल और बड़े रिटेल स्टोरों के प्रंबधकों का कहना है कि भीड़-भाड़ वाले इलाकों में बम धमाकों के होते रहने से क्लोज मार्केटिंग की मांग बढ़ती जा रही है।
लोग अब पुराने बाजारो में जाने के बजाए मॉल्स और रिटेल स्टोरों को ज्यादा सुरक्षित मान रहे हैं। सुरक्षा को तरजीह देने की वजह से ऐसे बदलाव आ रहे हैं। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर राहुल गर्ग का कहना है कि ‘मॉल और रिटेल स्टोरों में सुरक्षा जांच होने के बाद ही लोगों को प्रवेश दिया जाता है। इसलिए यहां खरीदारी करना ज्यादा सुरक्षित है।’
डिंपल चढ्डा ग्रुप के उपाध्यक्ष सुधीर गुलाटी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘सुरक्षात्मक कारणों को ध्यान में रखते हुए हम अपने मॉल में आपदा प्रंबधन तंत्रों को और ज्यादा मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे है। मॉल के भीतर अब मल्टीपल एक्जीट सिस्टम (बाहर निकलने के लिए कई दरवाजों का होना), डिटेक्टर मशीनों और सीसीटीवी कैमरों को लगाया जा रहा है।
सुरक्षा गार्डो को किसी भी स्थिति से निबटने के लिए साप्ताहिक प्रशिक्षण भी दिये जा रहें है। इसके अलावा गार्डो को वाकी-टाकी सिस्टम,हाइड्रोजन पंप, अलार्म सिस्टम से लैस किया जा रहा है। खोजी कुत्तों को भी मॉल की सुरक्षा के लिए प्रयोग किया जा रहा है।’ दूसरी ओर छोटे कारोबारी अधिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी आजीविका बनी रहे। इस खर्च का कुछ हिस्सा वहन करने के लिए भी वे तैयार हैं।