उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के चुनावों ने नए राजनीतिक समीकरणों को जन्म दे दिया है। भाजपा का साथ लेने के बाद जहां बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बगावत करने वाले सात विधायकों को निलंबित कर दिया है, वहीं आगे के लिए भी अपने रास्ते का चुनाव कर लिया है। बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को संकेत दिया कि उनकी भाजपा से दोस्ती आगे भी कायम रहेगी और आने वाले विधानपरिषद चुनाव में भी दोनो पार्टियां साथ रहेंगी।
गौरतलब है कि बसपा के राज्यसभा प्रत्याशी के प्रस्तावक चार विधायकों नें बुधवार को अपना प्रस्ताव वापस लेते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव में अपनी आस्था जता दी। बसपा विधायकों के इस पैंतरे के बाद सपा समर्थित राज्यसभा प्रत्याशी प्रकाश बजाज का जीतना तय माना जा रहा था, पर पेंच फंसाते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने तकनीकी आधार पर बजाज का नामांकन रद्द करने तो बसपा के विधायक दल के नेता लालजी वर्मा ने अपने प्रत्याशी रामजी गौतम का नामांकन बरकरार रखने की मांग की। बसपा और भाजपा दोनों ने अपना-अपना पक्ष निर्वाचन अधिकारी के सामने रखा और आखिरकार निर्दलीय बजाज का नामांकन निरस्त हुआ। अब बसपा का प्रत्याशी आराम से राज्यसभा पहुंच जाएगा।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा का सहयोग मिलने से नाराज होकर बगावत करने वाले सात विधायकों को गुरुवार को निलंबित कर दिया और उनकी विधानसभा से सदस्यता खत्म करवाने की बात कही है। ये सातों विधायक कल समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने गए थे। इनमें से चार विधायक राज्यसभा के बसपा प्रत्याशी रामजी गौतम के प्रस्तावक भी थे और अखिलेश से मुलाकात के बाद अपना प्रस्ताव वापस ले लिया था। जिन सात विधायको को निलंबित किया गया है उनमें भिन्गा के असलम राइनी, धौलाना-हापुड़ के असलम अली, प्रतापपुर-इलाहाबाद के मुजतबा सिद्दीकी, हंडिया के हाकिम लाल बिंद, सिधौली-सीतापुर के हरगोविंद भार्गव, मुंगरा बादशाहपुर जौनपुर की सुषमा पटेल और सगड़ी-आजमगढ़ की वंदना सिंह शामिल हैं।
गुरुवार को मीडिया से मुखातिब हुईं मायावती का रुख सपा को लेकर हमलावर रहा। उन्होंने 1995 में लखनऊ गेस्टहाउस की घटना का जि़क्र करते हुए कहा कि हम इसे भूल कर आगे बढ़े और लोकसभा चुनावों में सपा से गठबधन किया। उन्होंने कहा कि 1995 के केस को वापस लेना ग़लत फैसला था। माया ने कहा कि बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा पर केस वापस लेने का दबाव बनाया गया था। हालांकि बीते लोकसभा चुनाव में सपा के साथ का कोई लाभ नहीं मिला। मायावती ने कहा कि चुनाव बाद हमने कई बार फोन किया पर अखिलेश यादव ने नहीं उठाया।
मायावती ने भाजपा से मिले होने के आरोप को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि राज्यसभा चुनावों को लेकर सपा के राम गोपाल यादव से बात हुई थी और उन्होंने सिर्फ एक सीट पर चुनाव लडऩे की बात कही थी। बसपा प्रमुख ने कहा कि वार्ता के बाद बसपा की ओर से रामजी गौतम को उतारा गया। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी सपा ने साजि़श रची, झूठा हलफनामा दिलाया गया और 7 विधायकों को तोड़ा गया। उन्होंने कहा कि अब एमएलसी के चुनाव में बसपा जैसे को तैसा का जवाब देने के लिये पूरी ताकत लगा देगी और इसके लिए भाजपा को वोट देना पड़ेगा तो भी देंगे।