facebookmetapixel
Gold-Silver Outlook: सोना और चांदी ने 2025 में तोड़े सारे रिकॉर्ड, 2026 में आ सकती है और उछालYear Ender: 2025 में आईपीओ और SME फंडिंग ने तोड़े रिकॉर्ड, 103 कंपनियों ने जुटाए ₹1.75 लाख करोड़; QIP रहा नरम2025 में डेट म्युचुअल फंड्स की चुनिंदा कैटेगरी की मजबूत कमाई, मीडियम ड्यूरेशन फंड्स रहे सबसे आगेYear Ender 2025: सोने-चांदी में चमक मगर शेयर बाजार ने किया निराश, अब निवेशकों की नजर 2026 पर2025 में भारत आए कम विदेशी पर्यटक, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया वीजा-मुक्त नीतियों से आगे निकलेकहीं 2026 में अल-नीनो बिगाड़ न दे मॉनसून का मिजाज? खेती और आर्थिक वृद्धि पर असर की आशंकानए साल की पूर्व संध्या पर डिलिवरी कंपनियों ने बढ़ाए इंसेंटिव, गिग वर्कर्स की हड़ताल से बढ़ी हलचलबिज़नेस स्टैंडर्ड सीईओ सर्वेक्षण: कॉरपोरेट जगत को नए साल में दमदार वृद्धि की उम्मीद, भू-राजनीतिक जोखिम की चिंताआरबीआई की चेतावनी: वैश्विक बाजारों के झटकों से अल्पकालिक जोखिम, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूतसरकार ने वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी, ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर रोक

मप्र को मिलेगा 850 करोड़ का ऋण

Last Updated- December 07, 2022 | 10:49 PM IST

विश्व बैंक मध्य प्रदेश को डिस्ट्रिक्ट पॉवर्टी इनिशियेटिव प्रोजेक्ट (डीपीआईपी) के दूसरे चरण में आसान शर्तों पर 18 करोड़ डॉलर यानी करीब 850 करोड़ रुपये का ऋण देगा।


इस योजना का पहला चरण 2001 में शुरू हुआ था। उस चरण में राज्य के 14 जिलों के 2900 गांवों को शामिल किया गया था। पहले चरण में विश्व बैंक ने इन गांवों में सुधार के लिए 10 करोड़ डॉलर का ऋण दिया था। दूसरे चरण के तहत राज्य के 14 जिलों के 53 ब्लॉकों को शामिल किया जाएगा।

योजना में कुल 10,000 हजार गांवों को कवर किया जा रहा है। विश्व बैंक के दक्षिणी एशिया के समन्वित विकास विभाग के वरिष्ठ ग्रामीण विकास अर्थशास्त्री नाथन एम बेलेट ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार ने दूसरे चरण के लिए 18 करोड़ डॉलर का एक प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी मिलनी बाकी है। इस मंजूरी के बाद विश्व बैंक उक्त राशि को उपलब्ध करा देगी। बेलेट भोपाल में इस योजना से लाभान्वित होने वाले लोगों से सुझाव लेने के लिए उपस्थित थे।

अलबत्ता कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब विश्व बैंक, राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को लाभान्वितों, एनजीओ और अन्य सामाजिक समूहों से पता लगाकर देने होंगे। मसलन संपदा की रैंकिंग की प्रक्रिया में  गरीबी रेखा से ऊपर के और संपन्न लोगों को शामिल किया गया। गरीबों को दिए जाने वाले ऋणों पर ब्याज दर (12 फीसदी) भूमि मालिकों को दिये जाने वाले ऋण (7 फीसदी) से ज्यादा कैसे है?

साथ ही किस तरह से साझा हित समूहों (सीआईजी) को स्वयं सहायता समूह(एसएचजी) में बदला जा सकता है। डीपीआईपी योजना से जुड़े एक सूत्र ने योजना की अनियमितता बताते हुए कहा कि बैंक र्स इस योजना के सफल होने में प्रभावी भूमिका नहीं निभा रहे हैं।

First Published - October 6, 2008 | 10:44 PM IST

संबंधित पोस्ट