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सबके पास खाता, हर दरवाजे पर बैंक

Last Updated- December 05, 2022 | 5:26 PM IST

उत्तराखंड के दूरदराज के चमोली जिले में चलते हैं। इस जिले के दो गांव पाइंग और चाई गांव को अपनी विशेष प्राकृतिक बनावट के लिए जाना जाता है।


लेकिन, ये गांव इन दिनों एक और वजह से सुर्खियों में हैं।इन गांवों के प्रत्येक घर में कम से कम एक बैंक खाता है। हुजूर, ठहरिए तो बात अभी खत्म नहीं हुई है। उत्तराखंड में इस गांव में अब लोगों को बैंक के चक्कर लगाने की जरुरत नहीं हैं। बैंक अपनी सेवाएं लेकर खुद उनके दरवाजों पर आ रहे हैं।


राज्य में सिर्फ पाइंग और चाई ही ऐसे गांव नहीं हैं जहां दरवाजे-दरवाजे बैंकिंग सेवाएं पहुंच रही हैं। ताजा आंकड़ों का उदाहरण देते हुए एक शीर्ष बैंक अधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड के 15,761 गांवों में कुल 15,27,560 परिवार रहते हैं और इनमें से सभी के पास बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच है। उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक की वित्तीय समावेश योजना के कारण यह सपना हकीकत में तब्दील हो सका है।


वैसे तो देश में कर्नाटक और केरल ने भी शत प्रतिशत वित्तीय समावेश का दावा किया है लेकिन उत्तराखंड की उपलब्धि इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि यहां के सौकड़ों गांवों में अभी तक सड़क और पानी जैसी अन्य बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच सकी हैं। दुर्गम प्राकृतिक दशाओं से जूझते हुए हर घर तक बैंकिंग सेवाओं को पहुंचाना एक बड़ी उपलब्धि है।


रिजर्व बैंक की वित्तीय समावेश नीति के तहत सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों ने राज्य के कुल 15.27 परिवारों तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच कायम की है। इस कारण करीब 84,89,349 लोग बैंकिंग सेवा का फायदा ले सकते हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि मुख्यमंत्री बी सी खंडूडी ज़ल्द ही राज्य में वित्तीय समावेश योजना के पूरा होने की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।


भारतीय स्टेट बैंक के उप महाप्रबंधक महीप कुमार ने बताया कि राज्य की दुर्गम प्राकृतिक दशाओं को देखते हुए यह एक बड़ी उपलब्धि है। कुमार राज्य स्तरीय बैंकिंग समिति (एसएलबीसी) के संयोजक भी हैं।


वित्तीय समावेश योजना के तहत एसबीआई को राज्य के 13 जिलों में से 9 जिलों के हर घर में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ये सभी 9 जिले दुर्गम पहाड़ी इलाकों में हैं। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को दो जिलों में वित्तीय समावेश का काम सौंपा गया था जबकि शेष दो जिलों में यह जिम्मेदारी बैंक आफ बड़ौदा (बीओबी) को दी गई थी। दूरदराज के गांवों में घर-घर बैंक खाते खोलने के लिए बैंक अधिकारियों को मीलों पैदल चलना पड़ा।


अधिकारी ने बताया कि वित्तीय समावेश का लक्ष्य बैंकों के सामने था। इसलिए बैंकों ने खुद हर घर पर जाकर खाता खोलने का फैसला किया। कुमार ने बताया कि ‘अगर पाइंग की बात करें तो वहां तक पहुंचने के लिए हमें करीब 4 किलोमीटर तक पहाड़ों की ट्रैकिंग करनी पड़ी।’ राज्य के दूरदराज के इलाकों में एसबीआई के टिनी कार्ड का काफी इस्तेमाल किया जा रहा है। टिनी कार्ड के जरिए गांव वालों को दरवाजे पर ही बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराई जाती है।


वर्ष 2005-06 के लिए जारी रिजर्व बैंक की मध्यावधि समीक्षा में व्यापक वित्तीय समावेश हासिल करने के लिए बैंकों से नो फ्रिल एकाउंट के जरिए बेसिक बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराने के लिए कहा गया था। ये खाते जीेरो बैलेंस से या फिर बहुत थोड़ी सी राशि से खोले जा सकते हैं। इन खातों के परिचालन के लिए बहुत कम शुल्क लिया जाता है ताकि समाज का एक बड़ा तबका बैंकिंग सेवाओं का लाभ ले सके।

First Published - March 31, 2008 | 10:44 PM IST

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