राजधानी नई दिल्ली में यमुना में पानी के स्तर में बढ़ोतरी से यहां पीने के पानी के संकट की भी संभावना बन गई है। यमुना में जैसे जैसे जलस्तर बढ़ेगा, पानी में गंदगी की मात्रा भी बढ़ती जाएगी और इसे साफ करने के लिए जल बोर्ड के पास उपयुक्त साधन नही है।
आशंका जताई जा रही है कि वजीराबाद और चंद्रावल जल संयंत्रों में पानी का उत्पादन आधे से कम हो सकता है। ऐसी स्थिति में दिल्ली के पॉश और वीवीआईपी इलाकों में भी पानी का संकट गहरा सकता है।
दिल्ली जल बोर्ड के इंजीनियरिंग प्रभाग केवरिष्ठ अधिकारी आर के गर्ग ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि जल संयंत्रों को जो पानी उपलब्ध कराया जाता है, उसमें गंदगी की मात्रा 15 से 20 एनटीयू (निकॉल्सन टर्बिडिटी यूनिट) होती है और उसे शुद्ध करना आसान होता है।
बरसात के दिनों में पानी में गंदगी की मात्रा 2500 से 3000 एनटीयू हो जाती है और उसे भी परंपरागत तकनीकों से साफ करना संभव हो जाता है।
लेकिन अभी पानी में गंदगी की मात्रा 5000 एनटीयू तक हो गई है और आगे इसमें बढ़ोतरी होने की ही संभावना है, तो इस हालत में इन जल संयंत्रों के पास ऐसी तकनीक नही है कि इतने गंदे पानी को साफ किया जा सके। लेकिन उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि इससे उत्पन्न जल संकट अस्थायी होगा और उससे घबराने की बात नही है।
वजीरावाद जल संयंत्र के एक अधिकारी ने कहा कि यमुना में जैसे ही बाढ़ की पानी की मात्रा बढ़ती जाएगी, उससे फिल्टर पर गंदगी की मात्रा बढ़ती जाएगी और पानी को साफ करने की उसकी क्षमता कम होती जाएगी।
गंदगी की मात्रा बढ़ने की वजह से इन संयंत्रों के पानी साफ करने की क्षमता घटकर आधी रह जाएगी और जाहिर सी बात है कि इससे जल संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी।
इन संयंत्रों की शोधन क्षमता घटने से नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के पॉश इलाके, प्रधानमंत्री आवास इलाका, मध्य और पुरानी दिल्ली का अधिकांश इलाका जल संकट से प्रभावित हो सकता है।
जल बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि जल संयंत्रों से जैसे ही पानी का उत्पादन घटेगा, जल की आपूर्ति बाधित हो जाएगी और जाहिर सी बात है कि जल संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी।
वैसे उन्होंने इस बात का आश्वासन दिया कि जैसे ही बाढ़ का पानी कम होगा, पानी में गंदगी की मात्रा कम होगी और पानी को साफ करने की प्रक्रिया सामान्य हो जाएगी।
लेकिन तब तक इन समस्याओं से तो लोगों को जूझना ही पड़ेगा। वैसे जल बोर्ड के अधिकारियों ने यह उम्मीद जताई है कि अब जबकि पानी का स्तर कम हो रहा है, स्थितियां सामान्य हो जाएगी।